Tejashwi-Stalin की बड़ी योजना, Social Justice पर कर रहे काम

Tejashwi-Stalin की बड़ी योजना, Social Justice पर कर रहे काम। तमिलनाडु और बिहार दोनों में सामाजिक न्याय की धारा मजबूत। Bureaucracy को भी किया सक्रिय।

भाजपा हिंदुत्व पर जोर दे रही है, तो बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव Social Justice आंदोलन को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं। हाल के दिनों में वे कई बार तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं। इन दौरों में वे तमिलनाडु के सामाजिक न्याय आंदोलन, सामाजिक न्याय के तमिलनाडु मॉडल, उस मॉडल को जमीन पर उतारने के लिए ब्यूरोक्रेसी को सक्रिय करते हुए खास दिशा देने के पूरे प्रयोग को करीब से देखने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्तालिन जब बिहार आए, तो उन्होंने बुद्ध से लेकर कर्पूरी ठाकुर तथा बीपी मंडल बारे में चर्चा की।

तमिलनाडु और बिहार दोनों के सामाजिक न्याय के अपने-अपने मॉडल हैं। तमिलनाडु में जहां सर्वाधिक आरक्षण है- 69 प्रतिशत। इसके साथ ही वहां विकास योजनाओं के केंद्र में दलित और पिछड़े ही हैं। इन योजनाओं को बनाने, उसे जमीन पर उतारने के काम में ब्यूरोक्रेसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

बिहार में सामाजिक न्याय का अपना मॉडल है। बिहार में महिलाओं के लिए नौकरी में 35 फीसदी आरक्षण है। स्थानीय निकायों में यह बढ़ कर 50 फीसदी हो जाता है। इसके साथ ही महिलाओं, अतिपिछड़ों, पिछड़ों तथा अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा, छात्रावास, छात्रवृत्ति, बैंकों से सस्ते ब्याज पर कर्ज, कोचिंग की अनेक योजनाएं लागू हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्तालिन ने बुद्ध, कर्पूरी ठाकुर और बीपी मंडल की चर्चा करते हुए सामाजिक न्याय के सेकुलर, डेमोक्रेटिक इंडिया से जोड़ा। कहा देश में सामाजिक न्याय को मजबूत करते हुए ही लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष भारत का नया जन्म हो सकता है।

तेजस्वी यादव भी सामाजिक न्याय की धारा को मजबूत करते हुए और इसे आधार बनाते हुए भारत में लोकतंत्र, संविधान, धर्मनिरपेक्षता तथा बिहार के विकास की बात कर रहे हैं। इस तरह वे बिहार में सामाजिक न्याय की धारा को नई ऊंचाई देना चाहते हैं। वे अपनी इस सोच को जमीन पर उतारने के लिए ब्यूरोक्रेसी को नई दिशा में सक्रिय कर रहे हैं।

स्तालिन और तेजस्वी का हाल के दिनों में बार-बार मिलना नॉलेज शेयरिंग ही है। दोनों लगातार अधिकारियों से भी मिल रहे हैं। स्तालिन बिहार आए तो कई आईएएस अधिकारियों से मिले। तेजस्वी यादव भी लगातार आईएएस अधिकारियों को अपनी योजना जमीन पर उतारने के उद्देश्य से सक्रिय कर रहे हैं। हाल में वे बिहारी मूल के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों से मिले हैं।

जाहिर है बिहार और तमिलनाडु की स्थितियां भिन्न है। कोई एक ही मॉडल दोनों प्रांतों में नहीं हो सकता और न ही एक दूसरे की कॉपी की जा सकती है। बिहार में तेजस्वी यादव सामाजिक न्याय को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं और पटना में मरीन ड्राइव को विश्व स्तर का बनाना चाहते हैं, लेकिन भीतर बिहार के युवकों के लिए रोजगार के अवसर भी बना रहे हैं। वे भाजपा के रोजगारविहीन विकास के विरुद्ध रोजगार और सामाजिक न्याय के साथ विकास का मॉडल बनाना चाहते हैं।

बिहार के IAS-IPS अधिकारी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से क्यों मिले

By Editor


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