Surgical Strike: फातमी साहब गफलत मत पालिए कि आप मुस्लिमों के लीडर हैं
मिस्टर अली अशरफ फातमी, आप तीन दिनों से राष्ट्रीय जनता दल को खोखली धमकी दे रहे हैं. खुदको मुसलमानों का लीडर होने का वास्ता दे कर अपने लिए टिकट की मांग पर अड़े हैं. बता रहे हैं कि राष्ट्रीय जनता दल को उन्होंने सीचा है. पसीना और पैसा खर्च किया है.
पैसा और पसीना दिया है. हर कार्यकर्ता का यह फर्ज है कि वह संगठन को मजबूत करे. आपने भी किया होगा. यह सच हो सकता है. पर किस दावे से कह रहे हैं कि आप मुसलमानों के लीडर हैं ? यह भी दुहाई दे रहे हैं कि अगर टिकट न मिला तो दरभंगा की जनता में खास तौर पर और बिहार के मुसलमानों में आम तौर पर रिएक्शन होगा.
[box type=”success” ]जान पड़ रहा है कि महागठबंधन मधुबनी से किसी कद्दावर मुस्लिम चेहरे को ही सामने लायेगा. यह भी बात चल रही है कि किसी गरीब और सामाजिक न्याय की धारा का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम को मधुबनी से खड़ा किया जायेगा. महागठबंधन ऐसा करता है तो माना जायेगा कि उसने सामाजिक न्याय के अपने आदर्शों का पालन किया है. [/box]
आप नेक मुसलमान हैं. यह सच है. आप चार बार एमपी रहे. काम करने वाले एमपी रहे, यह भी सच है. आप 2004 से 2009 तक मानव संसाधन विभाग में राज्य मंत्री रहे. बहुत अच्छे मंत्री रहे. मंत्री रहते आपने अच्छे काम किये.यह सौ फीसदी सच है. पर आप मुसलमानों के लीडर कैसे हैं?
जलते-मरते लुटते मुसलमानों के लिए क्या किया?
क्या आपके एक आह्वान पर मुसलमानों ने हजारों की संख्या में घरों से निकल कर कभी रैली निकाल दी? क्या आप निर्दोष गरीब मुसलमानों को आतंकवादी घोषित कर जेलों में संड़ा देने के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे. मंत्रीपद को लात मार दिया? क्या आपने मुस्लिम महिलाओं के शोषण के दस्तावेज बनाने वाली एनडीए सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की?
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अभी अभी बीते अक्टूबर में आपके घर से पचास किलो मीटर की दूरी पर सीतामढ़ी में दंगाइयों ने जैनुल अंसारी को जिंदा जला दिया. आप उन मुसलमानों के जख्मों पर मरहम लगाने गये? इस निर्मम घटना के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आये. आप कहीं देखे? खुद आपके शहर दरभंगा में साम्प्रदायिकता की आग भड़की, बगल के शहर समस्तीपुर में दंगाइयों ने आगजनी की, बेगूसराय में उत्पात मचा. कहां थे आप?
बिहार का हर नवजवान जानता है कि बिहार में मुसलमानों का कोई मुस्लिम रहबर नहीं है. मुस्लिम अगर वोट करता है तो वह राजद को करता है. वह राजद को अपनी पार्टी मानता है और लालू प्रसाद को अपना लीडर गरदानता है.
बेटा भी सदन में, अब क्या चाहिए?
राष्ट्रीय जनता दल ने आपको चार बार दरभंगा का एमपी बनाया. तब कभी आपने यह घोषित नहीं की कि आपको इसलिए टिकट मिलता है कि आप मुसलमानों के लीडर हैं. आपके बेटे फराज फातमी को घर से बुला कर राजद ने विधानसभा में पहुंचा दिया तो क्या आपने कभी यह इल्तजा लालू प्रसाद से की कि मेरे बेटे को नहीं, किसी दूसरे होनहार और संघर्षशील मुस्लिम को टिकट दीजिए?
मुस्लिम लीडर बन जाने का वह सुनहरी मौका था जब आप फराज के बजाये, आपके साथ 25-30 सालों से संघर्ष करने वाले उन समर्थकों को आगे बढ़ाते जिन्होंने अपनी जवानी आपका झंडा ढोने में बिता दी. लेकिन आप बेटा के करियर को सेफ करने में लगे थे. लीडरशिप कुर्बानी मांगती है फातमी साहब! यह कैसी कुर्बानी की आपको टिकट ना मिले तो आप मुसलमानों का हवाला दे कर अपनी ही पार्टी से बारगेन करने लगिए.
67 प्रतिशत मुसलमान नहीं मानते आपको लीडर
फातमी साहब हमने फेसबुक और ट्विटर पर यह सवाल युवाओं से पूछा कि क्या सचमुच आप मुस्लिमों के लीडर हैं तो इसके जवाब में 67 प्रतिशत लोगों ने कहा ना.
मुसलमानों के लिए सामाजिक न्याय का समर्थन कीजिए
जो खबरें आ रही हैं उससे यह जान पड़ रहा है कि महागठबंधन मधुबनी से किसी कद्दावर मुस्लिम चेहरे को ही सामने लायेगा. यह भी बात चल रही है कि किसी गरीब और सामाजिक न्याय की धारा का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम को मधुबनी से खड़ा किया जायेगा. महागठबंधन ऐसा करता है तो माना जायेगा कि उसने सामाजिक न्याय के अपने आदर्शों का पालन किया है.
फातमी साहब आप बताइए कि क्या आप चाहते हैं कि मुसलमानों के साथ भी सामाजिक न्याय हो? अगर चाहते हैं तो आप को कुर्बानी देनी होगी. लीडर के महत्वपूर्ण गुणों में से एक गुण यही है कि वह कुर्बानी दे.
लीडर बनना है तो कुर्बानी दीजिए
रही बात आपके बेटे फराज फातमी की तो उन्हें आगे बढ़ने दीजिए. और आप लीडर बनिये. लीडर बनने के लिए जरूरी नहीं कि आप संसद में पहुंचे. लीडरी के सामने तो कोई भी पद बौना होता है. अगर आप लीडर हैं तो फिर पद का क्या मोह?
आपके पास गोल्डन अपोरचुनिटी है कि आप मुसलमानों में सामाजिक न्याय की राह को हमवार करिये. किसी गरीब मुसलमान को प्रतिनिधित्व मिलेगा तभी मुसलमानों में सामाजिक न्याय का हक मिलेगा.
हमारी भी ख्वाहिश है कि लीडर बनिये फातमी साहब. सांसदी तो एक छोटी सी चीज है लीडर के सामने.