विश्व की चुनावी रैलियों के इतिहास को उलट-पलट दिया तेजस्वी ( Tejashwi yadav) ने
तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav) ने एक दिन में सर्वाधिक चुनावी रैलियों के लालू प्रसाद के रिकार्ड को तो तोड़ा ही, चुनावी इतिहास में नरेंद्र मोदी( Narendra Modi) ने चार महीने में जितनी रैली की उतनी तेजस्वी ने 21 दिनों में कर डाला.
नरेंद्र मोदी डॉट इन वेबसाइट पर दावा किया गया है कि चुनावी लोकतंत्र के इतिहास में नरेंद्र मोदी ने 437 रैलियां ( जमीनी) करके रिकार्ड बनाया है.नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) ने इतनी रैलियां 15 सितम्बर 2013 से ले कर 10 मई 2014 के बीच की. यानी 437 जमीनी रैलियां करने में मोदी ने करीब आठ महीने लगाये. जबकि तेजस्वी यादव ने 243 रैलियां महज 21 दिन में कर डाली. तेजस्वी ने चुनावी सभा का आगाज 16 अक्टूबर 2020 से शुरू किया था. और 5 नवम्बर 2020 तक आखिरी रैली की.
समय अवधि के लिहाज से देखें तो जितनी रैलियां नरेंद्र मोदी ने चार महीने में की, उतनी रैलियां तेजस्वी ने मात्र 21 दिनों में पूरी कर ली.
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एक दूसरा रिकार्ड भी तेजस्वी ने तोड़ा. यह रिकार्ड एक दिन में रैलियों की संख्या को ले कर है. कमाल की बात है कि एक दिन में अब तक सर्वाधिक रैली करने का रिकार्ड, लालू प्रसाद के नाम था. लेकिन तेजस्वी ने अपने पिता लालू प्रसाद के रिकार्ड से ज्यादा;- 19 रैलियों को संबोधित किया. तेजस्वी ने विगत 31 अक्टूबर को 19 रैलियों का रिकार्ड बनाया.
निश्चित तौर पर रैलियों का रिकार्ड तोड़ने के मकसद से तेजस्वी ( Tejashwi Yadav) ने ये रैलियां नहीं की. तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव ने नौकरशाही डॉट कॉम को बताया कि उनका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा जनसमूह तक पहुंच बनाने का था. पार्टी में तेजस्वी जी के अलावा कोई और स्टार कम्पेनर नहीं होने के कारण तेजस्वी जी को अकेले कमान संभालना था. इसलिए हम लोगों ने तय किया कि प्रति दिन रैलियों की संख्या बढ़ाई जाये.
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चुनाव अभियान के शुरुआती दिनों में तेजस्वी ने सात-आठ रैलियां करने का प्लान बनाया था. लेकिन बिहार की 243 विधान सभा सीटों को कवर करने ( कुछ क्षेत्रों में दो बार भी जाना पड़ा) के लिए राजनीतिक दलों के पास मात्र 21-22 दिन का ही समय था क्योंकि टिकट बंटवारे और सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग की चुनौती से निमटने में काफी दिन लग गये थे.
कैसे मिली एक दिन में इतनी रैलियां करने की प्रेरणा
तेजस्वी यादव ने इससे पहले मीडिया से बातचीत में कहा था कि एक दिन में 17-17 और कभी कभी 19 रैलियां करने के लिए ऊर्जा उन्हें मतदाताओं के अविश्सनीय उत्साह और समर्थन से मिलती है. तेजस्वी की रैलियों में जनसमंदर उमड़ता रहा है. जितनी देर तेजस्वी डॉयस पर होते थे उतनी देर तकी तेजस्वी जिंदाबाद के नारे और तालियों की गगनचुम्बी गड़गड़ाहट से माहौल उत्साह से भरा रहता था.
समय कवर करने के लिए दौड़ पड़ते थे तेजस्वी
तेजस्वी की रैलियों की तैयारी सुबह 8 बजे से हो जाती थी. एक रैलीस्थल से दूसरे स्थल तक समय कवर करने के लिए अनेक बार वह भाषण समाप्त करके मंच से कूद कर दौड़ना शुरू कर देते थे. दौड़ते हुए हेलिकॉप्टर में कूद कर चढ़ जाना और फिर दूसरे रैलीस्थल पर लैंड करते ही मंच की और भागने लगते थे. उनके पीछे सुरक्षाकर्मी और समर्थकों की भीड़ हांफते-कांपते दोड़ लगाती थी.
हालांकि इतनी अधिक संख्या में रैलियों को समय पर कवर करने के लिए मंच की औपचारिकताओं को तेजस्वी ने परे रख दिया. समय बर्बाद ना हो, इसके लिए मंच पर मौजूद नेताओं के नामों के साथ संबोधित करने के बजाये तेजस्वी सीधे जनसमूह से संवाद शुरू कर देते थे. मंच पर स्वागत और फूल माला पहनने की औपचारिकता को भी तेजस्वी ने रुकवा दिया था. एक रैली के मंच पर वह अधिकतम दस मिनट या इससे भी कम समय देते थे ताकि बाकी रैलियों में समय पर शामिल हुआ जा सके.