तेजप्रताप ने अपना एक और ‘विरोधी’ बढ़ाया, पड़े अलग-थलग

लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव पार्टी के सबसे सम्मानित नेता जगदानंद सिंह के खिलाफ बोलते रहे हैं। अब उन्होंने अपना एक और विरोधी बढ़ा लिया।

कुमार अनिल

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद कितना भरोसा करते हैं, यह बताने की जरूरत नहीं। लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव कई बार बिना नाम लिये जगदानंद सिंह के खिलाफ बोलते रहे हैं। वे उन्हें हिटलर तक कह चुके हैं। अब तेज प्रताप यादव ने ‘हरियाणा के प्रवासी सलाहकार’ के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। स्पष्ट है तेजप्रताप, तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव की बात कर रहे हैं।

इस तरह तेज प्रताप यादव अपने ‘विरोधियों’ की संख्या बढ़ाते जा रहे हैं। आज तेज प्रताप यादव ने ट्वीट किया-जिस प्रवासी सलाहकार के इशारों पे पार्टी चल रही वो हरियाणा में अपने परिवार से किसी को सरपंच नहीं बनवा सकता, वो ख़ाक मेरे अर्जुन को मुख्यमंत्री बनायेगा ..वो प्रवासी सलाहकार सिर्फ लालू परिवार और राजद में मतभेद पैदा कर सकता है।

इस ट्वीट को गौर से पढ़ें तो इसमें तेजप्रताप यादव की निराशा भी साफ झलक रही है। उनके प्रिय नेता को छात्र राजद के अध्यक्ष पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने गगन कुमार को नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह के खिलाफ ट्वीट किया और इस कदम को पार्टी संविधान केे खिलाफ बताया। अब वे हरियाणा वाले प्रवासी सलाहकार पर व्यंग्य कर रहे हैं। व्यंग्य आदमी निराशा में ही करता है। जब आदमी सामने से मुकाबला करने में असमर्थ होता है, तब वह अपने भीतर का क्षोभ व्यंग्य के जरिये बाहर करता है।

दो दिनों में तेज प्रताप यादव यह भी देख चुके कि पार्टी में उनके समर्थन में किसी छोटे स्तर के नेता तक ने बयान नहीं दिया। वहीं, आज प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने अपना रुख कड़ा करते हुए फिर कहा कि छात्र राजद अध्यक्ष का पद खाली था और मैंने उस पद पर पटना विवि के योग्य छात्र नेता को नियुक्त किया। यह पार्टी संविधान के कतई विरुद्ध नहीं है।

यह भी स्पष्ट है कि प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय बिना लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की सहमति के नहीं लिया गया है। लालू प्रसाद जानते हैं कि किसी भी पार्टी में दो केंद्र नहीं हो सकता। दो केंद्र होने का मतलब है पार्टी की बर्बादी। इसबात को पार्टी के दूसरे नेता भी समझ रहे हैं, इसीलिए तेज प्रताप यादव के समर्थन में कोई सामने नहीं आया और न ही किसी के सामने आने की उम्मीद है। देर-सबेर तेजप्रताप को भी यह मूल बात समझनी होगी।

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