ठन गई लड़ाई, बहिष्कार कर घर नहीं बैठेंगे, 28 को जदयू का अनशन
महिला और आदिवासी राष्ट्रपति के अपमान का मुद्दा अब बहिष्कार तक सीमति नहीं रहा। 20 दलों में सबसे पहले जदयू का एलान। आंबेडकर प्रतिमा के सामने अनशन।
नए संसद भवन का उद्घाटन आदिवासी महिला राष्ट्रपति से न करा कर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करना अब सड़क का मुद्दा बन गया है। 20 दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान कर दिया है। अब सबसे पहले जदयू ने शुक्रवार को कह दिया कि बहिष्कार करके नेता घर में नहीं बैठेंगे, बल्कि सारे सांसद, विधायक पटना में आंबेडकर प्रतिमा के सामने 12 घंटे का अनशन करेंगे। अनशन में जदयू अध्यक्ष ललन सिंह सहित सभी सांसद मौजूद रहेंगे।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पार्टी कार्यालय में प्रेस से बात करते हुए एलान किया कि 28 मई को, जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे, उनके सारे सांसद और नेता अनशन करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चूंकि आदिवासी हैं और महिला हैं, इसीलिए उनसे उद्घाटन नहीं कराया जा रहा है।
इससे पहले जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नए संसद भवन के शिलान्यास में तब के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वे दलित थे। अब उद्घाटन से वर्तमान राष्ट्रपति को दूर रखा जा रहा है, क्योंकि वे आदिवासी और महिला हैं। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया है कि दलित और आदिवासी राष्ट्रपति को भाजपा वाले राजनीतिक अछूत मानते हैं, इसीलिए राष्ट्रपति को नहीं बुला रहे।
जदयू प्रवक्ता ने बिहार भाजपा नेताओं द्वारा विधानमण्डल के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल को नहीं बुलाए जाने वाले बयान पर कहा कि देश के महामहिम राष्ट्रपति जी के पद की तुलना राज्यपाल से करना भाजपा गिरते राजनीतिक स्तर का एक उदाहरण है। राज्यपाल केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत पद होता है परन्तु देश के राष्ट्रपति का चुनाव होता है। भाजपा नेताओं को यह अंतर समझने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पुराने संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के अलावा एक सेंट्रल हाॅल भी था जहां महामहिम राष्ट्रपति जी संसद के संयुक्त सत्र को बुलाते थे लेकिन नई संसद भवन में सेन्ट्रल हाॅल निर्माण नहीं किया जाना एक बड़ी साजिश की ओर इशारे करता है। भाजपा को इस विषय पर भी अपना स्पष्टिकरण देना चाहिए।
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