हिन्दी में उर्दू के नुक्ता की मौजूदगी से आती है मिठास
हिन्दी और उर्दू एक साथ हिन्दुस्तान में पली-बढ़ी और परवान चढ़ी। बोलने और लिखने के दौरान हिन्दी में धड़ल्ले से उर्दू के शब्दों का इस्तेमाल होता रहा। आज भी यह सिलसिला जारी है। कई बार फर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है कि दो सगी बहनें कहलाने वाली हिन्दी और उर्दू के शब्द हैं कौन? दिलों को जोड़ने वाली यह भाषा देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती हैं।
यही वजह है जब हिन्दुस्तान बोलता है तो दुनिया सुनती है। यह बातें शनिवार को संस्था स्वरांजलि द्वारा मंगल तालाब परिसर स्थित बिहार हितैषी पुस्तकालय में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में उर्दू प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सरफराज आलम ने कहीं।
शब्द में मिठास घोलता है नुक़्ता
आओ हिन्दी में फिर शामिल करें नुक़्ता विषय पर आयोजित कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि डॉ. रैहान गनी ने कहा कि उर्दू मुसलमान नहीं बल्कि हिन्दुस्तान की भाषा है। इस पर सभी का अधिकार है। उर्दू को उसकी नजाकत के साथ अपनाने की जरूरत है। पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रो. शरदेन्दु कुमार ने उर्दू सीखने पर बल दिया ताकि उर्दू की रूह को समझ कर इस भाषा के शब्द का हिन्दी में सावधानी से प्रयोग किया जा सके। भाषाविद हामिद हुसैन नदवीं ने कहा कि हिन्दी के पांच अक्षर क, ख, ग, ज, फ में ही नुक़्ता लगता है। उर्दू शब्द के सही उच्चारण व लेखन की विधि और तकनीक को उन्होंने विस्तार से बताया।
जानेमाने शायर प्रेम किरण ने कहा कि गीतकार, लेखक, पत्रकार, फनकार, कलाकार के लिए नुक़्ता से बनने वाले शब्द और उसके सही इस्तेमाल को जानना बेहद जरूरी है। संस्था के महासचिव सह शिक्षाविद डॉ. ध्रुव कुमार ने नयी पीढ़ी से उर्दू सीखने और भाषा को धर्म से न जोड़ने की अपील किया। उन्होंने कहा कि भाषा पर सबका हक है। एक समाचार वाचक, संचालक के लिए नुक़्ते वाले शब्द का महत्व समझना बेहद जरूरी है। हिन्दी में उर्दू शब्दों की मौजूदगी से मिठास, सरलता, अविरलता आती है।
उर्दू शब्दों का शुद्ध उच्चारण देती है दिलों पर दस्तक
संस्था के संयोजक अनिल रश्मि ने कहा कि शिक्षाविदों का एक शिष्टमंडल जल्द ही जिला शिक्षा पदाधिकारी से मिल कर नुक़्ता वाले पांच अक्षरों का इस्तेमाल हिन्दी में शुरू किए जाने की मांग करेगा। नयी पीढ़ी इससे अवगत होगी तो शब्दों के उच्चारण में एकरूपता आएगी। अर्थ का अनर्थ होने की संभावना समाप्त हो जाएगी। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन के समाचार वाचक सलमान गनी ने बेहद खूबसूरत अंदाज में किया।
पत्रकार ए आर हाशमी ने कहा कि नुक़्ता का इस्तेमाल शब्द में मिठास घोलता है। अच्छा बोलने और असरदार लिखने के लिए उर्दू के नुक़्ते वाले शब्दों का प्रयोग हिन्दी में भी नुक़्ते के साथ किया जाए तो उच्चारण सीधा दिलों पर दस्तक देगी। आलोक चोपड़ा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में नवीन रस्तोगी, मेहता नागेन्द्र, संजीव कुमार यादव, मो. शाहिद अनवर, रजनीश आर्य, विजय कुमार सिंह, शंकर चौधरी, रश्मि झुनझुनवाला समेत कई स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने कार्यशाला में भाग लिया। विद्यार्थियों को विशिष्टजनों ने प्रमाण-पत्र दिया।