विरोध की आवाज दबाने में भारत-चीन समान : US HRs Watch
अमेरिकी NGO Human Rights Watch ने विरोध की आवाज दबाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव के मामले में भारत की आलोचना की है।
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अमेरिकी एनजीओ ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में विरोध पक्ष की आवाज दबाने तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव की तुलना चीन से की है। मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में भारत की आलोचना की है। रिपोर्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की भी इस बात के लिए आलोचना की है कि उन्होंने कहा था कि अमेरिका एशिया में मानवाधिकार रक्षा को प्राथमिकता देगा, पर वह मौन है। सोशल मीडिया पर इस खबर की बहुत चर्चा नहीं है, लेकिन प्रमुख अंग्रेजी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है।
कोलकाता से प्रकाशित द टेलिग्राफ ने शुक्रवार के अंक में लिखा कि अमेरिकी एनजीओ ने कहा है कि भारत में शांतिपूर्ण विरोध और बोलने की आजादी को कई तरह से दबाया जा रहा है। रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को प्रताड़ित करने का भी उल्लेख किया गया है। द ट्रिब्यून ने लिखा है HRW ने कहा है कि भारत सरकार ने 2022 में नागरिक संगठनों तथा मीडिया पर हमले बढ़ा दिए हैं। कई ग्रुपों पर आर्थिक अनियमितता के आरोप में छापे पड़े हैं। कई राज्यों में मुस्लिमों के घर ढाह दिए गए हैं।
द हिंदू लिखता है Human Rights Watch’s World Report 2023 ने कहा है कि भारत नागरिक संगठनों और मीडिया पर हमले तेज और व्यापक कर दिए हैं। अखबार ने रिपोर्ट के शब्द उद्धृत करते हुए लिखा है कि “Hindu nationalist” भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें मुस्लिम तथा अन्य अल्पसंख्यकों को दबाने वाली नीतियों पर काम कर रही है।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अमेरिकी एनजीओ की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने थोड़ी देर पहले ट्वीट किया- ह्यूमन राइट्स वॉच की वैश्विक रिपोर्ट-2023 में भाजपा सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव, विरोध की आवाज दबाने, संस्थाओं में पूर्वाग्रह, नागरिक संगठनों की आवाज बंद करने के लिए आपराधिक आरोप लगाए जा रहे हैं।
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