उर्दू भाषा के प्रोत्साहन पर उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. पल्ल म राजू को पेश की इस सिफारिश में उर्दू के विकास के लिए 14 प्वाइंट्स सुझाये गे हैं.urdu

समिति की मुख्य। सिफारिशें इस प्रकार हैं:-

1. उपसीमिति ने उर्दू के प्रोत्सा हन संबंधी कार्यक्रमों के कार्यान्व्यन को सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी समिति के गठन की सिफारिश की है। यह सिफारिश उपसमिति के सुझावों और उन सुझावों पर आधारित प्रस्तारवों को मद्देनज़र रखते हुए की गई है। प्रस्तारवित निगरानी समिति में उर्दू माध्याम के स्कूदलों के प्रिंसपलों, दिल्लीन विश्ववविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वयविद्यालय, मौलाना आजाद राष्ट्री य उर्दू विश्व़विद्यालय, जामिया मल्लिया इस्लानमिया, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और अन्यक संस्थालनों के उर्दू अध्या‍पकों तथा प्रसिद्ध उर्दू विद्वानों को रखे जाने का प्रस्तायव है।

2. उर्दू अध्यानपकों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेरदारी वहन करने वाले संस्‍‍थानों का डाटाबेस विकसित किया जाए।

3. केन्द्री य विद्यालय संगठन द्वारा संचालित देश के किसी भी स्कूल में उर्दू शिक्षा नहीं दी जाती क्योंकि शर्त के अनुसार उर्दू पढ़ने वाले छात्रों की संख्याभ कम से कम 15 होनी चाहिए। इस संख्या को केन्द्रीनय विद्यालय संगठन संहिता की धारा 122 में संशोधन करके कम से कम 5 या 6 की जानी चाहिए, जैसा उत्तहर प्रदेश और दिल्लीश में है।

4. उर्दू भाषा को जवाहर नवोदय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में विषय के रूप में लागू किया जाए।

5. सरकारी कॉलेजों में प्रवेश के लिए उर्दू माध्यूम के स्कूीलों को 5 प्रतिशत की छूट और कोटा प्रदान किया जाए।

6. जिन छात्रों को उर्दू माध्यम से पढ़ाने के बजाय उर्दू को विषय के रूप में पढ़ाने की योग्यपता है, उन्हें भी उचित प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें मदरसे में पढ़े हुए छात्रों को शामिल किया जाएगा। मदरसे से पढ़े छात्रों के लिए भी अध्यापक-प्रशिक्षण डिप्लोंमा शुरू किया जाए। साथ ही मदरसा अध्यापक शिक्षा (एमटीई) को आरंभिक अध्यापक शिक्षा डिप्लो।मा (ईटीई) के बराबर का दर्जा दिया जाए।

7. यह अफसोस की बात है‍ कि उत्तरर प्रदेश और कई अन्य राज्यों में उर्दू माध्यम के स्कूाल नहीं खोले जा सकते क्योंकि इन राज्यों में ऐसे कानूनी प्रावधान हैं जिनके तहत सरकारी भाषा को शिक्षण और परीक्षा का माध्य्म बनाना अनिवार्य है। इस लिए सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए ताकि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य सरकारों को उर्दू माध्ययम के शैक्षिक संस्थान खोलने और उर्दू भाषा में परीक्षा का आयोजन करने की अनुमति मिल जाए।

8. त्रिभाषा सूत्र के कार्यान्वयन में पारदर्शिता होनी चाहिए। उर्दू व्यावहारिक रूप से आधुनिक भारतीय भाषाओं के वर्ग से बाहर हो गई है, जिसके कारण जो छात्र उर्दू पढ़ना चाहते हैं, उन्हें इसका अवसर नहीं मिलता और वे उर्दू के स्थान पर कोई अन्य भाषा पढ़ने के लिए मजबूर हैं।

9. मौलाना आजाद राष्ट्री य उर्दू विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय उर्दू भाषा प्रोत्सासहन परिषद जैसे संस्था न जो उर्दू की शिक्षा, अध्यापन, प्रोत्साहन और प्रचार में संलग्न हैं, उनके यहां प्रशासनिक और अर्ध-अकादमिक स्टाफ के लिए उर्दू का ज्ञान अनिवार्य किया जाए।

10. कुछ वर्गों, खासतौर से महिलाओं, जो शिक्षा के लिए नियमित रूप से स्कूलों में नहीं जा सकते उनको उर्दू पढ़ाने के लिए दूरस्था शिक्षा प्रणाली बहुत कारगर हो सकती है। अलीगढ़ स्थित संस्थान जामिया उर्दू पिछले 75 सालों से इस क्षेत्र में महत्व पूर्ण काम कर रहा है। इस संस्थान को मानित विश्वथविद्यालय का दर्जा दिया जाना चाहिए।

11. (i) इस समय इस बात की बहुत आवश्यकता है कि समाज के वंचित वर्गों, खासतौर से देश के उर्दू बोलने वाले अल्पकसंख्ययक वर्ग को अंग्रेजी भाषा का कौशल प्रदान किया जाए। अंग्रेजी भाषा की कारगर जानकारी के आधार पर समावेशी समाज की स्थाकपना में बहुत मदद मिलेगी और साक्षरता तथा जागरूकता बढ़ेगी।
(ii) अंग्रेजी भाषा पाठ्यक्रमों के अकादमिक और प्रशासनिक पक्षों की देखभाल करने के लिए एक निगरानी समिति बनाई जाए।
(iii) अध्यापन में अभिव्यक्ति रणनीतियों पर विशेष बल दिया जाए, जो अंग्रेजी में बात करने, लिखने, पढ़ने और सुनने पर आधारित हो।

12. इस उद्देश्यय को प्राप्त करने के लिए राष्ट्री य उर्दू भाषा प्रोत्साहन परिषद शानदार काम कर रही है। इसके कार्यक्रमों में निम्म‍लिखित गतिविधियां शामिल की जानी चाहिए:-
(i) अनुवाद पाठ्यक्रमों को लागू करना
(ii) देश के विभिन्नर भागों खासतौर से जिन जिलों और ब्लॉवकों में उर्दू बोलने वाली आबादी अधिक है, वहां सीएबीए-एमडीटीपी और उर्दू केन्द्रों की संख्यार बढ़ानी चाहिए।
(iii) प्रशिक्षित उर्दू अध्याडपकों का एक राष्ट्री य रजिस्टंर बनाया जाए।
(iv) उर्दू में डिजिटल मीडिया के उपयोग को प्रोत्साेहन दिया जाए।
(v) उर्दू सॉफ्टवेयरों का विकास किया जाए।
(vi) राष्ट्रीय उर्दू भाषा प्रोत्साहन परिषद बजट के प्रावधान को 100 करोड़ रुपये किये जाने की आवश्यकता है। प्रकाशनों के रख-रखाव के लिए अतिरिक्त आधारभूत ढांचा प्रदान किया जाए।

13. बी. एड या टीटीई प्रशिक्षित उर्दू अध्यािपकों की न्यूभनतम योग्याता के नियमों को मदरसा से पढ़े छात्रों के हित में संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि उन लोगों को भी उर्दू अध्या पकों के तौर पर प्रशिक्षण की सुविधा मिल सके। उल्लेरखनीय है कि मदरसा से पढ़े हुए छात्रों को प्राप्तप होने वाला योग्यमता प्रमाणपत्र दसवीं और बारहवीं कक्षाओं के प्रमाणपत्रों के बराबर का ही है।

14. उर्दू टीवी न्यू ज चैनलों और रेडियो में समायोजन के लिए उर्दू पत्रकारों को तैयार करने का जो पाठ्यक्रम विश्वूविद्यालय और कॉलेज प्रदान कर रहे हैं, उन्हेंप अलग से अनुदान दिया जाना चाहिए, ताकि उदीयमान उर्दू पत्रकारों को आवश्योक उपकरण प्राप्त हो सकें और उनका बेहतर प्रशिक्षण हो सके।

उप समिति का गठन अप्रैल, 2012 में किया गया था और प्रोफेसर अख्तर उल वासे को अध्यक्ष नियुक्ता किया गया था। उप समिति का गठन मंत्री किया था, जो राष्ट्रीअय अल्प्संख्यक शिक्षा निगरानी समिति के अध्य्क्ष भी हैं।

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