जन्मशताब्दी वर्ष में साहित्य सम्मेलन ने श्रद्धापूर्वक स्मरण किया अपने पूर्व अध्यक्ष को।

प्रज्ञावाणी‘ के देवेंद्रनाथ शर्मा विशेषांक का हुआ लोकार्पण, सम्मेलन में स्थापित होगा विशेष-कक्ष 

पटना६ जनवरी। हिंदी और संस्कृत के उद्भट विद्वान और महान हिंदीसेवी आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा बिहार के गौरव थे। वे पटना विश्वविद्यालय और दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। शिक्षासंस्कृत और हिंदी भाषा तथा साहित्य के लिए उन्होंने जो कार्य किएवह इतिहास शेष है। भाषाविज्ञानसाहित्यालोचन के वे यशस्वी विद्वान हीं नही,महान आचार्य भी थे।

साहित्य की अनेक विधाओं में उन्होंने मूल्यवान सृजन किए। काव्यशास्त्र और साहित्यालोचन पर लिखी गई उनकी पुस्तकें आज भी विद्यार्थियों के लिए आदर्श ग्रंथ है। नाटकललित निबंध समेत साहित्य की विभिन्न विधाओं में उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखींजो आज अत्यंत मूल्यवान धरोहर के रूप में साहित्य संसार को उपलब्ध है। वे पुरातन भारतीय ज्ञान के नूतन संस्करण थे।

यह बातें आज यहाँ बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आचार्य शर्मा के जन्मशताब्दी वर्ष में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुएसम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा किआचार्य शर्मा कुछ थोड़े से महापुरुष में से एक थेजिन्होंने अपना संपूर्ण जीवनशिक्षासाहित्यसंस्कृतिकलासंगीत जैसे मनुष्य के लिए सर्वाधिक मूल्यवान तत्त्वों के संरक्षण और विकास में खपा दिया। वे सच्चे अर्थों में संस्कृति और संस्कार के पक्षधर संस्कृतिपुरुष थे। साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में भी उनकी स्तुत्य सेवाओं के लिए साहित्यसमाज उनका ऋणी है। डा सुलभ ने कहा किसाहित्य सम्मेलन के पुस्तकालय में आचार्य जी की स्मृति में उनके नाम से एक अलग कक्ष स्थापित किया जाएगा।

समारोह का उद्घाटन करते हुएपटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह ने कहा किपटना विश्वविद्यालय में एक शिक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति आचार्य शर्मा जी की कृपा से हुई। वे कुलपति होने के साथ साथ साक्षात्कारपर्षद के अध्यक्ष थे। कुलपति के रूप में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय की गरिमा में गुणात्मक वृद्धि की। उनकी निष्ठाईमानदारी और प्रशानिककौशलको आज भी आदर से स्मरण किया जाता है। प्रो सिंह ने इस अवसर पर बौद्धिकपत्रिका प्रज्ञावाणी‘ के देवेंद्रनाथ शर्मा विशेषांक का लोकार्पण भी किया।

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