एक समय में मायावती सरकार के रवैये से आहत आईएएस अधिकारी अजय जोशी यूपी छोड़कर उत्तराखंड चले गये थे पर अब, जब वह लौट रहे हैं, उनकी सीनियरिटी उन्हें शायद ही काम आ सके.

तब उनका समय उनके साथ नहीं था और अब लगता है कि उनकी किस्मत उनके साथ नहीं है. क्योंकि अजय कुमार जोशी 1977 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उनसे एक साल जूनियर जावेद उस्मानी राज्य के मुख्यसचिव हैं, ऐसे में जोशी की स्थिती समझी जा सकती है.

लेकिन उनके लिए राहत की बात तब हो सकती है जब जावेद यूपी छोड़कर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जायें.

मायावती सरकार ने अजय जोशी को इसतरह शंट कर दिया था कि वह काफी आहत थे और उन्होंने यूपी छोड़ कर उत्तराखंड चला जाना ही बेहतर समझा था. लेकिन समय ने वहां भी उनका साथ नहीं दिया. और वह दो बार मुख्यसचिव की दौड़ से बाहर हो गये. उत्तराखंड सरकार ने उन्हें नजरअंदाज कर उनसे जूनियर को मुख्यसचिव बना दिया था.

अज जोशी मुलायम सिंह यादव के काफी करीब माने जाते हैं. पिछली बार मोलायम सिंह यादव की सरकार में वह पंचायती राज और पीडब्ल्यूडी जैसे महकमों के प्रधानसचिव के रूप में काम कर चुके हैं. लेकिन मायावती सरकार बनने के बाद जोशी को कथित रूप से कई बार मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया और शंट तक कर दिया गया.

कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति ने अज जोशी के उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश भेजने पर अपनी सहमति दे दी है और उम्मीद है कि वह बहुत जल्द यूपी कैडर ज्वायन भी कर लेंगे. लेकिन ज्वायन करने के बाद भी उनके लिए उत्तरप्रदेश की नौकरशाही की राह आसान नहीं होने वाली, ऐसा लगता है. क्योंकि 1977 बैच के पहले से ही एक अधिकारी जगन मैथ्यु यूपी कैडर में मौजूद हैं और वह राजस्व बोर्ड के चेयरमैन है.

वैसे नौकरशाही में प्रभावशाली पदों पर नियुक्ति के लिए यह आवश्यक शर्त नहीं मानी जाती कि कोई अधिकारी कितना सीनियर है, लेकिन वेतनमान के लिहाज से देखा जाये तो भी अजय जोशी के लिए फिलहाल कम हीं संभावना दिखती है.

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