The Union Minister for Agriculture and Farmers Welfare, Shri Radha Mohan Singh inaugurating the Litchi Processing Plant, at Muzaffarpur, Bihar on May 29, 2017.

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने बिहार को लीची उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बताते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार का मुख्य उद्देष्य लीची के विकास एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध करके नई-नई किस्मों एवं तकनीकों का विकास करना तथा लीची संबंधी जानकारी को प्रसार विभाग को उपलब्ध कराना है.  केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यह बात मुसाहारी, मुजफ्फरपुर, बिहार में लीची प्रसंस्करण संयंत्र के उद्घाटन और सह प्रशिक्षण के अवसर पर कही.

नौकरशाही डेस्क

राधा मोहन सिंह ने कहा कि बिहार लीची उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, अभी बिहार में 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल से लगभग 300 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हो रहा है. बिहार का देश के लीची के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान है. लीची के महत्व को देखते हुए 6 जून, 2001 को यहाँ राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गयी.

सिंह ने कहा कि बिहार के कुल क्षेत्रफल एवं उत्पादन में मुजफ्फरपुर जिले का योगदान बहुत अच्छा है, परन्तु लीची उत्पादकता जो अभी लगभग 8.0 टन की है, उसे बढ़ाने की जरूरत है. इस दिशा में सभी सरकारी संस्थानों, सहकारी समितियों एवं किसानों को आगे आना होगा. केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने लीची फल को उपचारित करके तथा कम तापमान पर 60 दिनों तक भंडारित करके रखने में सफलता पायी हैं. जिसका एक प्रसंस्करण संयंत्र भी विकसित किया गया है.

उन्होंने कहा कि यह तकनीक निश्चित रूप से लीची उत्पादकों एवं व्यापारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. इस तकनीक को प्रभावशाली बनाने के लिए उत्पादकों को अच्छी गुणवत्ता के फल का उत्पादन करना होगा, जिसके लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर ने अनेक तकनीकों का विकास किया है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर प्रत्येक वर्ष लगभग 35-40 हजार  पौधे देश के विभिन्न संस्थानों/राज्यों को उपलब्ध करा रहा है.

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, आईसीएआर के अन्य संस्थानों तथा राज्यों के कृषि विष्वविद्यालयों एवं केन्द्र तथा राज्य सरकारों के विकास प्रतिष्ठानों जैसे-राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एपीडा, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि के साथ मिलकर कार्य कर रहा है. हमारे वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत करके उन्नत किस्मों और कृषि क्रियाओं का विकास कर रहे हैं, जिसे राज्य सरकार, एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों और  अन्य संस्थाओं द्वारा आम जनता तक पहुचाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से केन्द्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की  Farmers First  परियोजना का क्रियान्वयन पूर्वी चंपारण जिले में किया है जिसमें 8 गाँव (मेहसी प्रखंड-उझिलपुर, बखरी नजिर, दामोदरपुर गाव, चकिया प्रखंड- खैरवा, रामगढ़वा, विषनुपरा  ओझा टोला-वैषहा एवं चिंतमानपुर-मलाही टोला गाव) के 1000 किसान परिवार अनेक तकनीकों का लाभ ले रहे हैं. परिषद की यह एक अनोखी पहल है जिसमें किसानों द्वारा ही उन्नत तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है. इसे और अधिक लोगों तक पहुचाने की जरूरत है.

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