नीतीश कुमार का बिहार का सीएम बनने का सपना पहली बार ढ़ाई दशक तक राजनीतिक संघर्ष के बाद पूरा हुआ था. लेकिन उनका एक छोटा सा सपना साकार होने में 41 साल लग गये. आखिर क्या था वह सपना.Nitish_Kumar_in_deep_thought_295x200

शनिवार को सीएम नीतीश कुमार ने अपने इस सपने का जिक्र पटना के संवाद भवन में किया. इस बात का जिक्र करते हुए वह अतीत में खो से गये. अतीत के उस दौर में जब वह इंजीनियरिंग के छात्र हुआ करते थे (1972-73) और पटना के गंगा के किनारे स्थित कालेज में पढ़ा करते थे. वह कहते हैं तनाव और दबाव में जब भी वह होते थे तो गंगा के किनारे चले जाते थे और वहां मन की शांति प्राप्त करते थे. लेकिन वहां की समस्या यह थी कि जिस गांधी घाट पर वह जाया करते थे वहां की हालत जर- जर थी.

 

वह सोचा करते थे कि पटना के किनारे के घाटों का सौंदर्यीकरण हो जाये तो अच्छा होता. लेकिन वह तब इस मामले में कुछ नहीं कर सकते थे. पहली बार वह केवल कुछेक दिनों के लिए सीएम बने. फिर 2005 से अब तक लगभग 11 वर्षों से सीएम हैं. लेकिन इस लम्बी अवधि में शनिवार का दिन उनके उस सपने  के साकार होने का दिन साबित हुआ. बिहार सरकार के नगर विकास एंव आवास विभाग ने पटना के 12 घाटों को सजा संवार कर ऐसा नमूना बना दिया है कि उन्हें देखते ही बनता है.

नीतीश कहते हैं गंगा के किनारे जन्म लेना अपने आप में भाग्यशाली होना है. लेकिन अब जब ये चकाचौंध और सारी सुविधाओं से सुसज्जित ये घाट बन गये हैं तो उनका पुराना सपना साकार हो गया है. उन्होंने इन 12 घाटों को जनता को समर्पित किया.

इस अवसर पर उन्होंने बिहार परिवहन निगम की 227 बसों को लोगों को समर्पित किया, पटना में बनने वाले आईएसबीटी के शिलान्यास किया. लेकिन उनकी सबसे ज्यादा दिलचस्पी पटना के घाटों को लोगों को समर्पित करके हुई.

सरकार ने लोहरवा घाट, राजा घाट, आलमगंज घाट, घाघा घाट समेत 12 घाटों का निर्माण कराया है जिनकी सुंदरता देखते बनती है. नीतीश ने कहा कि इन घाटों पर पैदल पथ का भी निर्माण किया गया है जहां लोग वॉकिंग कर सकते हैं.

इस समारोह में नगर विकास मंत्री महेश्वर हजारी,  परिवहन मंत्री चंद्रिका राय, नगर आवास विभाग के पधान सचिव चैतन्य प्रसाद, मुख्य सचिव अंजनी कुमार,  ब्यूरोक्रेट शिशिर सिन्हा, अमरेंद्र कुमार समेत अनेक नौकरशाहों के अलावा अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे.

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