जद यू और भाजपा के बीच गठबंधन बचाने-तोड़ने पर सह-मात का खेल चल रहा है लेकिन अभी भी इस बात के ज्यादातर आसार हैं कि यह गठबंधन शायद ही तूटे.nitish

इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन

जद यू हांलांकि इस बात के लिए आश्वस्त है कि भाजपा से अलग होने की स्थिति में भी बिहार में उसकी सरकार बनी रहेगी.पर इसके लिए जद यू की तरफ से किसी निर्दलीय एमएलए से समर्थन के लिए अभी तक औपचारिक रूप से बातचीत शुरू नहीं की गयी है. हां यह अलग बात है कि तमाम निर्दलीय विधायक इस बात के लिए लालायित हैं कि वह जद यू को समर्थन देंगे. एक निर्दलीय विधायक ने नौकरशाही डॉट इन से नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार भी किया है कि अभी तक जद यू ने उनसे कोई सम्पर्क नहीं किया है.


The Advertising Network

इसी तरह सीपीआई के नेता एबी वर्धन ने एनडीटीवी को बताया है कि जद यू ने उनसे किसी तरह को कोई समर्थन नहीं मांगा है. सीपीआई का बिहार विधानसभा में एक एमएलए है. 243 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बचाने के लिए जद यू को 4 विधायकों की जरूरत है. जद यू के पास 118 विधायक हैं.

जद यू के कुछ नेता, जिसमें नीतीश कुमार भी शामिल हैं, इस बात को बहुत जोर-शोर से उठा रहे हैं कि भाजपा के साथ गठबंधन बनाये रखने पर अब निर्णायक फैसला लेने का समय आ गया है पर दूसरी तरफ व्यावहरिक तौर पर वह इस मामले में कोई कदम उठाता हुआ नहीं दिख रहा है. वहीं जद यू अध्यक्ष शरद यादव बार बार कह रहे हैं कि अभी गठंधन बना हुआ है.

एक तरफ जद यू ने मीडिया में यह प्रचारित कर दिया है कि उसने अपने तमाम विधायकों को 15 जून को पटना में मौजूद रहने के लिए कह दिया है ताकि गठबंधन पर अंतिम फैसला लिया जा सके. पर दूसरी तरफ अंदरखाने से छन कर जो खबरें आ रही हैं, जद यू के कई विधायक ऐसे हैं जिन्हें इस बात की कोई आधिकारिक सूचना नहीं है कि उन्हें 15 जून को पटना बुलाया गया है. वैसे भी नीतीश कुमार निजी तौर पर इतने लोकतांत्रिक व्यवहार कम ही दिखाते हैं. गठबंधन तोड़ने या बनाये रखने का फैसला नीतीश कुमार व जद यू के शीर्ष नेतृत्व को लेना है न कि विधायकों को.

सच्चाई यह है कि जद यू और भाजपा दोनों को पता है कि गठबंधन तोड़ना दोनों के लिए नुकसानदेह होगा. ऐसे में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के मुद्दे पर दोनों सहयोगी दलों में सह-मात का खेल चल रहा है.

अगर भाजपा, जद यू को यह आश्वासन दे देती है कि नरेंद्र मोदी भाजपा चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष मात्र हैं और अभी तक प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के नाम का फैसला नहीं लिया गया है तो कोई दो मत नहीं कि एनडीए गठबंधन का 17 साल पुराना वजूद बदस्तूर कायम रहेगा.

By Editor