बिहार सरकार की ओर से मनाया जा रहा ‘चंपारण सत्‍याग्रह शताब्‍दी वर्ष’ धीरे-धीरे महागठबंधन की पार्टियों का एजेंडा बनता जा रहा है। एक साल तक मनाये जाने वाले चंपारण सत्‍याग्रह शताब्‍दी समारोह की शुरुआत ज्ञान भवन, पटना में राष्‍ट्रीय विमर्श से शुरू हई। इस कार्यक्रम के भाग लेने के लिए बुलाए गये सभी अतिथि और वक्‍ता वैचारिक रूप से भाजपा विरोधी ही थे। कई वक्‍ताओं ने इस मंच का इस्‍तेमाल राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ लामबंदी के रूप में की। दो दिवसीय इस आयोजन में भाजपा का कोई प्रतिनिधि नजर नहीं आया।

वीरेंद्र यादव

 

17 अप्रैल को देश के करीब 20 राज्‍यों के आठ हजार स्‍वतंत्रताओं सेनानियों के सम्‍मान के लिए पटना के श्रीकृष्‍ण मेमोरियल हॉल में सम्‍मान समारोह का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने किया। राज्‍य सरकार की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सा‍थ बिहार भाजपा और अन्‍य विपक्षी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले गृहमंत्री ने इस कार्यक्रम में आने से इंकार कर दिया। भाजपा की ओर से कहा गया कि कार्यक्रम में लालू यादव को आमंत्रित किया गया है, इसलिए राजनाथ सिंह नहीं आ रहे हैं। इसके बाद भाजपा के सहयोगी अन्‍य दलों ने भी कार्यक्रम का बहिष्‍कार किया। आज मोतिहारी में गांधी स्‍मृति यात्रा और चंपारण सत्‍याग्रह स्‍मृति सभा का आयोजन किया गया। इससे भी एनडीए के नेता से अलग रहे।

 

भाजपा और सहयोगी दलों की रणनीति के कारण शताब्‍दी समारोह राजद, जदयू और कांग्रेस का राजनीतिक एजेंडा बन गया है। अब नीतीश कुमार महात्‍मा गांधी के नाम पर नयी राजनीतिक गोलबंदी में जुट गये हैं। स्‍वतंत्रता सेनानी सम्‍मान समारोह का भाजपा द्वारा बहिष्‍कार महागठबंधन को एक मुद्दा भी थमा दिया है। इसको लेकर महागठबंधन भी आक्रमक हो गया है। चंपारण सत्‍याग्रह शताब्‍दी वर्ष में महात्‍मा गांधी के नाम पर राजनीति की शुरुआत हो गयी है और दोनों पक्ष गांधी के विचारों की अनदेखी का आरोप एक-दूसरे पर लगा रहा है। हालांकि इस पूरे आयोजन में महागठबंधन अपने एजेंडे का आगे बढ़ाएगा और भाजपा ताकते रहेगी।

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