तीन दिवसीय 10वां  पटना फ़िल्म फेस्टिवल का शुभारंभ कल यानी रविवार से कालिदास रंगालय में शुरू हो रहा है, जो 11 दिसंबर को समाप्त हो जाएगा। इसकी जानकारी देते हुए आज एक संवाददाता संम्मेलन में फिल्मोत्सव स्वागत समिति के अध्यक्ष प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि पटना में जनता के सहयोग से होने वाले इस आयोजन का दस साल पूरा करना इस बात में भरोसा और उम्मीद जगाता है कि फिल्मों का उपयोग बेहतर समाज के निर्माण के लिए हो सकता है। 

नौकरशाही डेस्क

उन्होंने कहा कि किसी बड़ी पूंजी, कारपोरेट या सरकार की मदद के नियमित रूप से बिना बाधित हुए पटना फिल्म फेस्टिवल: प्रतिरोध का सिनेमा का आयोजन सफलतापूर्वक होना यह साबित करता है कि ईमानदार प्रयास और लगन का जनता सम्मान करती है और उसके साथ खड़ी होती है। सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक बदलाव के लिए बेचैन लोगों को इस फिल्मोत्सव के जरिए अपनी पंसद का सिनेमा तो उपलब्ध ही हुआ।

उन्होंने आगे बताया कि इस आयोजन ने पटना में एक गंभीर और विचारवान दर्शक वर्ग को भी निर्मित किया है, यह इसकी बड़ी उपलब्धि है। प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि हिरावल-जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित इस फिल्मोत्सव कई महत्वपूर्ण और ज्वलंत सामयिक सवालों पर केंद्रित रहा। यह कोरे मनोरंजन के लिए आयोजित होने वाला आयोजन नहीं है, बल्कि इसने फिल्मों के प्रदर्शन के जरिए विस्थापन, युद्धोन्माद, स्त्री-दलित मुक्ति, सांप्रदायिक सौहार्द सरीखे हमारे समय के जरूरों विमर्शों में हस्तक्षेप किया। दसवां फिल्मोत्सव भी हाशिये के लोगों के नाम समर्पित है।

संवाददाता सम्मेलन में सांउड इंजीनियर विस्मय चिंतन, एसआरएफटीआईआई, कोलकाता से प्रशिक्षित फिल्म निर्देशक सजल आनंद, सिनेमैटोग्राफर कुमद रंजन और हिरावल व फिल्मोत्सव संयोजक संतोष झा भी थे।

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