मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी अपने दो दिवसीय बगहा प्रवास के दौरान सामाजिक सम्‍मान की अपनी लड़ाई को नयी धार दी है। न केवल दलित अवधारणा को पुष्‍ट किया, बल्कि दलित स्‍वाभाविक की बात भी की। इस क्रम में बुधवार को बगहा के भेडि़हारी थारू टोला भी गए। थारू आदिवासियों के गांव में उन्‍होंने जमीन पर बैठक भोजन भी किया। इसके बाद ग्रामीणों के साथ दरी पर ही पंचायत लगायी। उनकी समस्‍याएं सनीं और समाधान का भरोसा भी दिलाया। इस दौरान बड़ी संख्‍या ग्रामीण उपस्थित हो गए। ग्रामीण इस बात से भी उत्‍साहित थे कि उनके गांव में सीएम आए हुए हैं। सीएम के आगमन को लेकर गांव की साफ-सफाई भी की गयी।01

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

सत्‍ता संभालने के बाद जीतनराम मांझी इस बात को पुख्‍ता करने में जुटे रहे कि दलित व महादलित एक राजनीतिक ताकत हैं और इस ताकत को पहचान कर बिहार की सामाजिक व राजनीतिक दिशा को बदला जा सकता है। इस अवधारणा को उन्‍होंने बगहा के अपने भाषणों में भी पुष्‍ट किया और इस दिशा में काम भी किया। आदिवासियों के साथ सीधा संवाद में उन्‍होंने उनकी जातीय अस्मिता का सवाल भी उठाया। उन्‍होंने दलित व आदिवासियों को मूलनिवासी बताया।

 

मुख्‍यमंत्री के काफिले में उनके मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह व विनय बिहारी के अलावा वरीय प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। अधिकारियों में राजस्‍व व भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव व्‍यास जी, गन्‍ना उद्योग विभाग के सचिव नवीन वर्मा, पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, नगर विकास विभाग के सचिव बी राजेंद्र, ऊर्जा विभाग के सचिव प्रत्‍यय अमृत, एडीजी विधि व्‍यवस्‍था आलोक राज भी उपस्थित थे।

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