फर्जी प्रशिक्षु आईएएस रूबी चैधरी आखिरकार गिरफता कर ली गई और अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी (एलबीएसए) में छह माह तक वह फर्जी दस्तावेज पर रही थी और एक दिन वह अचानक गायब हो गई। इसके बाद रूबी के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

रूबी ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि उसने रिश्वत देकर नौकरी लेने की कोशिश की थी। उधर जागरण की रिपोर्ट के अनुसार अदालत में रूबी मीडिया के सामने कही गई बातों का उल्लेख नहीं किया। यहां तक कि उसने अपने बयान में अकादमी के उपनिदेशक सौरभ जैन का जिक्र तक नहीं किया है। दूसरी ओर पुलिस निलंबित गार्ड देव सिंह को भी मसूरी से गिरफ्तार कर देहरादून ले आई। रूबी इसी गार्ड के मकान में रह रही थी।

शुक्रवार देर रात होटल से रूबी को गिरफ्तार करने के बाद विशेष जांच दल ने शनिवार सुबह दून चिकित्सालय में उसका मेडिकल कराया और उसे लेकर राजपुर थाने पहुंची। यहां करीब साढ़े तीन घंटे तक पूछताछ की। शाम चार बजे कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस रूबी को लेकर न्यायिक दंडाधिकारी (द्वितीय) छवि बंसल के कोर्ट में पहुंची। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश करते हुए तीन दिन की रिमांड के लिए अर्जी लगाई। पुलिस का तर्क था कि अभी तक रूबी का लैपटॉप और कुछ अन्य सामान की भी बरामदगी की जानी है। वहीं बचाव पक्ष ने अभियोजनों की दलीलों खारिज करते हुए कहा कि पुलिस केवल रूबी को ही आरोपी बनाना चाहती है।

अदालत में रूबी मीडिया के सामने कही गई बातों से पलट गई। मीडिया से उसने कहा था कि उसके कमरे से मिला एसडीएम का परिचय पत्र उसे उपनिदेशक सौरभ जैन ने दिया था, लेकिन अदालत में कहा कि परिचय पत्र उसने पचास रुपये देकर खुद बनवाया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने रूबी को जेल भेजने के आदेश दिए और कहा कि रिमांड अर्जी पर सुनवाई सोमवार को होगी।

मसूरी में भी दिनभर गहमागहमी रही। पुलिस ने शनिवार को भी अकादमी में छानबीन की। दोपहर बाद साढ़े तीन बजे एसआइटी ने अकादमी के निलंबित गार्ड देव सिंह को गिरफ्तार कर लिया। गौरतलब है कि रूबी देव सिंह के ही मकान में रह रही थी। रूबी का दावा था कि वह देव सिंह को प्रतिमाह 1500 रुपये किराया देती थी। देर शाम पुलिस ने देव सिंह को भी अदालत में पेश किया।

By Editor