अनिता गौतम
राष्ट्रपति जी आपको मालूम है कि जब आप पटना आये तो आधी राजधानी अंधकारमय थी? ग़नीमत रही कि आपके कार्यक्रम में गायघाट से बिजली आपूर्ति कर बोर्ड ने इज्जत बचाली.

नौकरशाही डॉट इन की पुख्ता जानकारी के अनुसार ऐसा पहली बार हुआ कृष्ण मेमोरियल हॉल में भी गायघाट सबग्रीड से बिजली आपर्ति की गई.इसी हॉल में राष्ट्रपित का कार्य्रम चल रहा था.

अब मामले को गंभीरता से लेते हुए बिहार राज्य विद्युत बोर्ड ने पेसू के महाप्रबंधक एसकेपी सिंह को हटा दिया है. खगौल ग्रिड में आयी खराबी को दूर करने में पेसू प्रशासन बुरी तरह असफल रहा था. इतना ही नहीं काम के प्रति लापरवाही, कदाचार और गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण चार कार्यपालक अभियंताओं को उनकी नौकरियों से भी निकाल दिया गया है.

विद्युत बोर्ड के आला अधिकारी राष्ट्रपति की पटना यात्रा के दौरान अपने कार्यकाल में इतने नर्वस कभी नहीं थे. इनके नर्वस होने की वजह यह थी कि खगौल ग्रीड में खराबी पर बात करने की तमाम कोशिशों के बावजूद एसकेपी सिंह किसी अधिकारी का फोन तक नहीं उठा रहे थे और ग्रीड ठप पड़ा था. इधर आला अधिकारियों की सांसे फूल रही थीं.

मामले की गंभीरता और विद्युत बोर्ड के क्रोध का यह नमूना ही है कि राज्य विद्युत बोर्ड के इतिहास में पहली बार चार कार्यपालक अभियंताओं को अनिवार्य सेवानवृत्ति दी गयी है.

राष्ट्रपति के आवभगत की तैयारी उनकी यात्रा के 15 दिन पहले से चल रही थी. प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए हर महकमे को चाकचौबंद कर दिया गया था. तब भी इतनी बड़ी गलती हुई कि जिन इलाक़ों में राष्ट्रपति को जाना था वहां खगौल ग्रीड बिजली आपूर्ति में असफल रहा.

विद्युत बोर्ड के आला अधिकारी राष्ट्रपति की पटना यात्रा के दौरान अपने कार्यकाल में इतने नर्वस कभी नहीं थे. इनके नर्वस होने की वजह यह थी कि खगौल ग्रीड में खराबी पर बात करने की तमाम कोशिशों के बावजूद एसकेपी सिंह किसी अधिकारी का फोन तक नहीं उठा रहे थे

यह घटना विद्युत विभाग की अकर्मण्यता का सबसे बड़ा नमूना है. अगर गायघाट ग्रीड के अधिकारियों ने कमान नहीं संभाली होती तो इसके परिणाम की कल्पना आसानी से की जा सकती है. इस दिन हमारे संवाददाताओं ने गायघाट ग्रीड में कुछ समय गुज़ारा था और देखा था कि वहां के कार्यपालक अभियंता सईद अख़्तर मंसूरी के नेतृत्व में दर्जनों अभियंता दिन रात एक करके वीआईपी इलाकों को रौशन रखने की कोशिश में लगे थे.

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि बिहार राज्यविद्युत बोर्ड में मनमानी, तानाशाही और भ्रष्टाचार किस स्तर पर फैला हुआ है. बिहार में बिजली के लिए त्राहिमाम मचा है, इसकी वजह सिर्फ यह नहीं है कि बिहार में बिजली नहीं है, बल्कि इसकी असल वजह यह है कि भ्रष्ट नौकरशाहों ने पूरे सिस्टम को तहसनहस करके रख दिया है. हालत यह है कि वर्ष 2011-12 में राज्य भर में बिजली वितरण में 57 प्रतिशत की चोरी हुई है. यह पिछले दो दशक में सबसे बड़ा रिकार्ड है.

यह आंकड़ें खुद बिजली बोर्ड के हैं. जाहिर है इस चोरी में विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रही है.
एक तरफ सरकार बिजली की दर बढ़ा रही है पर वह महकमे में भ्रष्टाचार को रोकने में एक दम नाकाम रही है. 57 प्रतिशत बिजली वितरण में चोरी का सीधा मतलब हुआ कि राज्य के राज्सव में 57 प्रतिशत की कमी जिसे वह वैसे उपभोक्ताओं से उसूल रही है जो अपनी गाढ़ी कमाई से नियमित रूप से बिल जमा करते हैं. जबकि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी और उद्योग चलाने वाले लोग बिजली राजस्व को लूट रहे हैं.

उम्मीद की जानी चाहिए कि खगौल ग्रीड की घटना से सबके लेते हुए राज्य सरकार पूरे विद्युत विभाग को ठीक करने का प्रयास करेगी.

By Editor

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