The President, Shri Ram Nath Kovind waves as he leaves in a traditional “Buggi” after inspecting the Guard of Honour after the swearing-in ceremony, at Rashtrapati Bhavan, in New Delhi on July 25, 2017.

बिहार की राजनीतिक जमीन काफी उर्वर रही है। इस जमीन ने अपने पुत्रों के साथ ही दत्‍तक पुत्रों पर भी अपना प्‍यार उड़ेला है, उन्‍हें भी सत्‍ता और सम्‍मान दिया है। यदि देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के अपने सपूत थे तो 14वें राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद बिहार के ‘दत्‍तक’ पुत्र के समान हैं। उन्‍होंने बिहार की जमीन से होकर राष्‍ट्रपति भवन की राह तय की है। राष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार के रूप में वे बिहार के वोटर थे। दीघा विधान सभा क्षेत्र के राजभवन स्थित मध्‍यविद्यालय के बूथ क्रमांक 305 के वोटर हैं। वोटर लिस्‍ट में उनका क्रमांक 496 है। नामांकन पत्र में उनका अस्‍थायी पता भी राजभवन का ही दर्ज है।

 वीरेंद्र यादव

पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल का रिश्‍ता भी बिहार से रहा है। उनकी राजनीतिक जमीन भले ही पंजाब से जुड़ी रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री पद की यात्रा उन्‍होंने बिहार के वोटर के रूप में ही तय की थी। जार्ज फर्नांडीज 1977 से बिहार के मुजफ्फरपुर व नालंदा से लोकसभा की यात्रा करते रहे। मध्‍यप्रदेश से राजनीति शुरू करने वाले शरद यादव 1991 से बिहार में राजनीति कर रहे हैं। धीरे-धीरे वे बिहार की राजनीति के हिस्‍सा बन गये। कांग्रेस से समाजवाद की यात्रा तय करने वाले जेबी कृपलानी भागलपुर और सीतामढ़ी से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। मधु लिमये भी बांका से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। अशोक मेहता समस्‍तीपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। सरोजनी नायडू भी बिहार से ही संविधान सभा के लिए चुनी गयी थीं। बिहार से राज्‍यसभा जाने वालों की लंबी लाइन है, जिसमें आइके गुजराल प्रमुख हैं। वे बिहार के सांसद के रूप में ही प्रधानमंत्री बने थे। एसएस अहलूवालिया, कपिल सिब्‍बल, प्रेम गुप्‍ता,  हरिवंश, पवन वर्मा, केसी त्‍यागी, राम जेठमलानी, धर्मेंद्र प्रधान समेत दर्जन भर से ज्‍यादा बिहार के रास्‍ते राज्‍यसभा की यात्रा कर चुके हैं।

 

समाजवादी राजनीति के कई प्रुमख नेता बिहार के रास्‍ते ही लोकसभा तक पहुंचे। लेकिन शरद यादव व जार्ज फर्नांडीज के अलावा किसी ने बिहार की राजनीति नहीं की। मधु लिमये और जेपी कृपालानी समाजवादी विचारधारा के प्रमुख नेता थे और पार्टी का वैचारिक नेतृत्‍व कर रहे थे। बिहार से जिन नेताओं ने संसद की यात्रा तय की, उनमें सभी विचारधारा के लोग थे। हालांकि कई सांसद ‘घोड़ा के व्‍यापारी’ (हॉर्स ट्रेडर) भी साबित हुए, जिन्‍होंने पैसा लुटा कर राज्‍यसभा की सीट ‘लूट’ ली। लोकसभा के लिए निर्वाचित बाहरी सांसदों में लगभग सभी समाजवादी राजनीतिक धारा के लोग थे। इससे यह बात साबित हो जाती है कि समाजवाद की असली जड़ बिहार में ही है और उसे फुलने-फलने का मौका भी बिहार में मिला।

 

By Editor