समाज एवं धर्मनिरपेक्षता अध्ययन केंद्र, मुम्बई को राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भावना पुरस्कार-2013 प्रदान किया जाएगा, जबकि व्यक्तिगत कटेगरी में डा मोहिंदर सिंह व डॉ एन राधाकृष्णन को भी यह पुरस्कार मिेलगा.

पिछले साल यह पुरस्कार अब्दुल बारी को मिला था
पिछले सल यह पुरस्कार अब्दुल बारी को मिला था

व्यक्तिगत श्रेणी में यह पुरस्कार दिल्ली के डॉ. मोहिन्दर सिंह और केरल के डॉ. एन. राधाकृष्णन को देने की घोषणा की गई है।

भारत सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भावना प्रतिष्ठान (फाउंडेशन) द्वारा 1996 में शुरू किए गए राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भावना पुरस्कार के अंतर्गत संगठन-वर्ग में 10 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र तथा व्यक्तिगत वर्ग में प्रशस्ति पत्र के साथ पांच लाख रुपये का नगद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

मुम्बई में 1996 में स्थापित समाज एवं धर्म निरपेक्षता अध्ययन केंद्र (सीएसएसएस) देश में शांति धर्म निरपेक्षता और साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने की दिशा में कार्यरत है। यह समाज के कमजोर और वंचित वर्गों तथा मानव अधिकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर भी कार्य करता है। केंद्र ने हिंसा और साम्प्रदायिकता, शांति, धर्म निरपेक्षता और साम्प्रदायिक सद्भाव पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। यह केंद्र ‘इंडियन जर्नल ऑफ सेक्युलरिज्म’ नामक एक तिमाही जर्नल भी प्रकाशित करता है जो काफी लोकप्रिय है।

72 वर्षीय डॉ. मोहिन्दर सिंह एक शिक्षाविद् हैं और इस समय राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के सदस्य हैं। वर्ष 1984 में दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के दौरान उन्होंने कुछ अन्य समाजसेवियों के साथ मिलकर हिन्दुओं और सिखों के बीच सौहार्द बहाल करने के ध्येय से कई शिविर लगाए थे। वर्ष 1985 में उन्होंने डॉ. निर्मला देशपांडे के साथ मिलकर साम्प्रदायिक सौहार्द फोरम गठित किया था।

69 वर्षीय डॉ. राधाकृष्णन एक जाने-माने शिक्षाविद और गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने गांधीग्राम विश्वविद्यालय में शांति सेना गठित की थी। डॉ. राधाकृष्णन एक दशक से अधिक समय तक गांधी स्मृति और दर्शन समिति, नई दिल्ली के निदेशक रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अनेक शैक्षणिक संस्थाओं में गांधीवादी मूल्यों और सिद्धान्तों पर आधारित गतिविधियां शुरू की। देश में शांति और सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘हिंसा मुक्त भारत’ आंदोलन भी संचालित किया।

By Editor