योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने दलित संगठनों को भरोसा दिलाया है कि योजना निर्माण में दलितों के प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जयीगी. मोंटेक नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित अर्गानायिजेशंस के तीसरे राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे.

मोंटेक ने साफ़ किया कि दलित समाज के विकास के लिए उनके प्रतिनिधियों की राये के बिना योजनाओं का निर्माण अधूरा रहेगा. उन्होंने इस बात की भी घोषणा की कि नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित अर्गानायिजेशंस( नैक्डोर) के प्रतिनिधि खास तौर पर योजना आयोग, योजना निर्माण सम्बन्धी विचार विमर्श में आमंत्रित करेगा.

नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित अर्गानायिजेशंस का पांच दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन नयी दिल्ली के फिक्की ऑडिटोरियम में 4-8 दिसंबर तक चल रहा है.

मोंटेक नें इस अवसर पर नैक्डोर और सीआईआयी के संयुक्त उद्यम दी फेअर जॉब डॉट कम का सामुदायिक उद्घाटन भी किया. मोंटेक नि इस अवसर पर उम्मीद जताई कि यह जॉब पोर्टल निजी क्षेत्र और दलितों और दीगर पिछड़े तबके के बीच एक सेतु का काम करेगा.

समारोह का संचालन करते हुए नैक्डोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती ने योजना आयोग को सलाह दी कि वह ऐसी योजना सुनिश्चित करे कि योजना निर्माण में दलित संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करे. भारती ने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों को इस लायक बनाया जाए कि नीतिनिर्माताओं के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा सकें. अगर ऐसा हो सका तो सरकारी स्कूलों का शिक्षा स्तर सुधरेगा. उन्होंने कहा कि सरकार अगर अपनी मंशा साफ़ करे तो लाखों एकड़ जमीन जो यूँ ही पड़ी है, उसे दलितों को दिया जा सकता है जिस से उनके लिए घर और रोजगार के अवसर मिल सकेंगे.

इस समारोह को संबोधित करते हुए योजना आयोग के सदस्य राजेंद्र जाधव ने कहा कि आयोग ने योजना में अनुसूचित जाति उप योजना को मजबूत किया है जिसका नतीजा है कि आँध्रप्रदेश सरकार ने इसको क़ानून का शकल दे दिया है. जाधव ने उम्मीद जताई की जल्द ही दुसरे राज्य और केंद्र सरकार भी इस सम्बन्ध में क़ानून बनाएंगी. उन्होंने कहा कि अगर यह कानून बन जये तो दलितों से जुडी योजना के तहत पूरे देश में लाखों करोड रुपये शामिल हो जायेंगे जिसको किसी अन्य योजना में परिवर्तित नहीं किया जा सकेगा. अभी तक ऐसा होता रहा है कि सरकारें दलितों से सम्बंधित योजना के पैसे अन्य कामों में लगा देती हैं.

नैक्डोर के इस सम्मलेन में ‘मीडिया में दलितों की आवाज़’, और निजी क्षेत्र में दलितों की भागीदार विषय पर भी विचार विमर्श किया गया. इस में नेशनल दुनिया के प्रबंध संपादक विनोद अग्निहोत्रि, नौकरशाही डॉट इन के संपादक इर्शादुल हक और वरिष्ठ पत्रकार हिंडोल सेनगुप्ता ने अपने विचार रखे.

विनोद अग्निहोत्रि ने स्वीकार किया कि दलितों और अल्पसंख्यकों की आवाज को मौजूदा मीडिया में समुचित कवरेज नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि मीडिया को इस बार गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि हाशिए के लोगों की आवाज़ को उचित तरीके से कवर किया जाए. इर्शादुल हक नें कहा कि जब तक मीडिया में वंचित तबकों कि नुमाईन्दगी नहीं होगी तब तक उनकी आवाज़ का प्रतिनिधित्व मीडिया में नहीं हो सकेगा.इस अवसर पर हिंडोल ने कहा कि दलित समाज को खुद ही आगे आने की जरूरत है.

By Editor