बिहार आज चार अप्रैल को शराब पर पूर्ण प्रतिबंध  की दूसरी वर्षगंठ मना रहा है. हिसाब किताब समझाया जा रहा है कि शराबबंदी से लोगों को क्या-क्या फायदा हुआ पर यह देखिए पूजास्थलों पर 1991 से ताड़ी बेचने पर प्रतिबंध के बावजूद मधुबनी में लोग मजे से ताड़ी के जाम नोश फरमा रहे हैं.

दीपक कुमार, मधुबनी के सलेमपुर गांव से
बिहार सरकार के नशाबंदी कानून को ठेंगा दिखाते हुए जिले के सलेमपुर गांव स्थित मंदिर के प्रांगण में ताड़ी की दूकान चलाई जा रही है। जबकि सार्वजनिक जगहों पर इसकी बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
ऐसे में सलेमपुर के प्रसिद्ध शिव मंदिर परिसर में चल रही यह दुकान हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला में लिखी-
बने पुजारी प्रेमी साकी,गंगाजल पावन हाला/ रहे फेरता अविरत गति से मधु के प्यालों की माला
“और लिए जा,और पीए जा,इसी मंत्र का जाप करे,मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूं, मंदिर हो यह मधुशाला”
सचमुच इसी को अक्षरशः चरितार्थ कर रही है।
मधुबनी जिला के साहरघाट थाने के सलेमपुर गांव के शिव मंदिर परिसर में चल रही ताड़ी की दुकान को देख कर ऐसा लगता है,मानों कभी बच्चन ने इसे देखकर ही मधुशाला की इन पंक्तियों को लिखी हो।
सरकार ने सार्वजनिक जगहों खास कर मंदिर, मस्जिद, स्कूल आदि के निकट  ताड़ी की दुकान को प्रतिबंधित कर रखा है। बावजूद इसके मंदिर परिसर में ही वर्षों से ताड़ी की दुकान सज रही है।
पति के पेशे में हाथ बंटानेवाली पवित्री को इस बात से क्या लेना?उसके सामने न तो कानून का सवाल है,न ही आस्था का सवाल है,सिर्फ पापी पेट का सवाल है। यही वजह है कि मधुशाला का किरदार बन कर इन्हीं भावनाओं के साथ “धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है,जिसके अंतर की ज्वाला,कर सकती है आज उसीका स्वागत मेरी मधुशाला,रहें मुबारक पीनेवाले,खुली रहे यह मधुशाला। और इसे खुली रखने में प्रशासन का भी कहीं न कहीं हाथ है। तभी तो पियक्कड़ों के शोर में लंबे समय से पूजा के समय बजने वाले घण्टे और शंख की ध्वनि सुनाई नहीं देती। यह न सिर्फ सरकार के नशाबंदी कानून का उल्लंघन है, बल्कि आस्था के साथ भी खिलवाड़ है।
इस सम्बन्ध में साहरघाट के थानाध्यक्ष का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। यूं कहें कि “मंदिर-मस्जिद वैर कराती, मेल कराती मधुशाला” हरिवंश राय बच्चन की इन पंक्तियों को सलेमपुर गांव स्थित एक मंदिर के प्रांगण में चल रही ताड़ी की दुकान चरितार्थ कर रही है। यह दुकान उच्चैठ भगवती स्थान से मधवापुर जाने वाली मुख्य पथ के किनारे है। बिहार में नशाबंदी अभियान को मजाक उड़ाती ऐसी दूसरी तस्वीर शायद ही कहीं और मिले। यह सिर्फ कानून का मजाक ही नहीं,बल्कि आस्था के साथ भी खिलवाड़ है।

 

By Editor