माघ मास शुरू होते ही जहां संगम तट पर श्रद्धालु गंगास्नान को आते हैं वहीं साइबेरिया की बर्नफीली हवाओं को छोड़ वहां के पक्षी भी संगम नगरी पहुंचने लगे हैं. ये फाल्गुन बीतने के साथ ही वापस जाते हैं.saiberian.birds
दीपक कुमार,इलाहबाद
 गंगा की लहरों पर साइबेरियन पक्षियों की अठखेलियां इन दिनों देखते बन रही है। इन पक्षियों के आने से घाट गुलजार हो जाते हैं।  शाम ढलते-ढलते यहां का नजारा और भी बेहतरीन हो जाता है।
 गंगा की लहरों पर इनकी अठखेलियां देख कर दूर-दूर से यहां पहुंचे सैलानी के अलावे लाखों की संख्या में कुंभ मेला में आए श्रद्धालु जमकर लुत्फ़ उठा रहे हैं।
ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही साइबेरियन बर्ड्स संगम नगरी पहुंचने लगते हैं।  लोग घंटों तक घाट पर बैठकर गंगा में अठखेलियां करते इन विदेशी पक्षियों को निहारते रहते हैं। इतना ही नहीं,लोग इनकी मेहमाननवाजी में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। कोई इन्हें बेसन से बनी सेव तो कोई पपड़ी खिलाता है तो वहीं,ये पक्षी भी बहुत चाव से खाते हैं।saiberian.birds.ganga
इन पक्षियों के आने से घाट गुलजार हो जाते हैं। यहां सुबह से लेकर शाम तक टूरिस्टों की भीड़ लगी रहती है। शाम ढलते-ढलते यहां का नजारा और भी हसीन हो जाता है। हर वर्ष साइबेरियन पक्षियों का प्रयाग के संगम तट पर जमघट देखने को मिलता है।
साइबेरिया से अफगानिस्तान होते हुए आते हैं पक्षी
हजारों किलोमीटर दूर साइबेरिया से अफगानिस्तान, मध्य एशिया से होते हुए ये पक्षी यहां पहुंचते हैं।
  प्रवासी पक्षियों से गंगा पूरी तरह सजी हुई है. सुबह उगते सूर्य की चमकीली किरणें संगम के जल के साथ मिलकर सुन्दर इन्द्रधनुष के सतरंगी रंग से खेलते बिन बुलाए प्रवासी मेहमान गंगा की खूबसूरती को चार चांद लगा रहे हैं। संगम में  श्रद्धालु स्नान करने के साथ सेव, बिस्कुट, लाई जैसी चीजों गंगा में स्नान करते समय प्रवाहित कर देते है जिसे अपनी चोंच में दबाने के लिए मेहमानों के झुण्ड के झुण्ड उमड रहे हैं।
श्रद्धालु की तरह हैं ये पक्षी
इन मेहमानों को जलक्रीडा करते देख मन खुश होता है. मेला स्नान में सूरत से आये केशव जी महाराज ने बताया कि जैसे हर साल कुंभ मेले में हजारों की संख्या में कल्पवासी और सन्यासी संगम तट पर डेरा डालकर तपस्या करते है और श्रद्धालु स्नान कर अपने को धन्य मानते है. उसी प्रकार ये प्रवासी मेहमान भी संगम के जल में अठखेलियां कर अपने को धन्य मानते हैं. उन्होंने कहा कि यह भी अजीब बात है कि हर साल माघ मेला तैयारियों के समय से ये प्रवासी मेहमान यहां आना शुरू कर देते हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि साइबेरिया समेत बफीर्ले देशों के पक्षी बर्फबारी से बचने के लिए भारत का रूख करते है। हल्की गर्मी की शुरूआत होते ही अपने वतन को वापस लौटना शुरू कर देते हैं। अधिक बर्फबारी पडने के कारण इन्हें वहां चारा की समस्या उत्पन्न होती है।

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