मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार और तत्‍कालिक जदयू के राज्‍यसभा सांसद शिवानंद तिवारी के बीच रिश्‍तों की खाई पार्टी के राजगीर शिविर से शुरू हुई थी। यह खाई दिन पर दिन बढ़ती गयी और स्थिति मोहभंग तक पहुंच गयी। इसके बाद शिवानंद तिवारी ने ‘राजनीति को नमस्‍कार’ करने की घोषणा कर दी थी। लेकिन वैचारिक राजनीति की उम्‍मीद नहीं छोड़ पाये थे। मुद्दों पर लगातार सक्रिय रहे। लिखते भी रहे।

नौकरशाही ब्‍यूरो

भाजपा के खिलाफ शिवानंद का दिखा आक्रोश

लेकिन कई वर्षों बाद शिवानंद तिवारी फिर राजनीति में सक्रिय हुए हैं। इसकी शुरुआत भी राजगीर से हुई। राजद के राष्‍ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में शिवानंद तिवारी शामिल हुए और संबोधित भी किया। इसके बाद से वे खुलकर लालू यादव के पक्ष में बोलने लगे हैं। टेप प्रकरण में वही लालू के बचाव में उतरे। आज जारी बयान में शिवानंद तिवारी का भाजपा के प्रति आक्रोश भी स्‍पष्‍ट रूप से दिख रहा है।

 

तिवारी के बोल

उन्‍होंने अपने बयान में कहा है कि भाजपा मानती है कि सिर्फ वही सदाचारी है। बाकी सब कदाचारी है। लालू के मामले में भाजपा का ऐसा ही व्यवहार हो रहा है। लालू समाप्त हो जाय तो देश की राजनीति सदाचारी हो जाएगी। अगर ऐसा है तो सब मिलकर लालू को फाँसी पर चढ़ा दें। देश में सदाचार की गंगा बहने लगेगी। श्री तिवारी ने कहा कि दरअसल समस्या भ्रष्टाचार नहीं है। समस्या स्वयं लालू हैं। सबकुछ के बावजूद लालू समाप्त नहीं हो रहे हैं। बिहार की राजनीति में मज़बूत ताक़त के रूप में आज भी क़ायम हैं। उन्‍होंने कहा कि कल्पना कीजिए अगर लालू नहीं होते तो बिहार में किसकी सरकार होती ?  भाजपा समझ रही है कि लालू के रहते भारत विजय का उसका सपना साकार होने वाला नहीं है। भाजपा की मूल समस्या यही है। भ्रष्टाचार नहीं। श्री तिवारी ने कहा कि भ्रष्टाचार भाजपा के लिए अगर सचमुच असहनीय है तो मध्यप्रदेश में अपने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कैसे सहन कर रही है ! मेडिकल-इंजीनियरिंग आदि के ऐडमीशन में हुए घोटाला को व्यापाम घोटाला के रूप में जाना जाता है। इस घोटाला में राज्‍यपाल,  मुख्यमंत्री सहित अनेकों प्रभावशाली लोग शामिल हैं। आज़ादी के बाद देश में भ्रष्टाचार का कोई ऐसा मामला उजागर नहीं हुआ है, जिसमें शामिल लगभग चालीस लोगों की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई हो। उच्‍चतम न्यायालय ने इसे ‘बड़े पैमाने पर हुई धोखा-धड़ी’ (massive fraud)  कहा है। उसकी जाँच अभी तक भूल-भुलैया में ही फँसी है। लेकिन प्रधानमंत्री ने शिवराज सिंह को बग़ैर जाँच निर्दोष घोषित कर दिया है।

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