चिराग के बिहार दौरे से तय हो जाएगा 2024 में किधर जाएंगे पासवान

चिराग पासवान कुछ मामलों को स्पष्ट कर चुके हैं, कुछ मामलों में अपना पत्ता नहीं खोला है। उनके बिहार दौरे से स्पष्ट होगा कि वे हनुमान रहेंगे या अर्जुन बनेंगे।

कुमार अनिल

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान 5 जुलाई को अपने पिता रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर से बिहार दौरा शुरू कर रहे हैं। अबतक उन्होंने दो बातें बिल्कुल स्पष्ट कर दी हैं। पहला, वे नीतीश कुमार के साथ नहीं जाएंगे। उन्होंने कल ही अपने साथियों को लिखे पत्र में कहा कि नीतीश उनके पिता की राजनीतिक हत्या की कोशिश करते रहे, पर वे कभी सफल नहीं हुए। पिता रामविलास ने हर बार जमीन से ताकत हासिल की, इसीलिए वे कभी झुके नहीं। चिराग ने एक और बात स्पष्ट कर दी है कि अब चाचा के साथ कोई समझौता नहीं होगा।

चिराग ने एक महत्वपूर्ण पक्ष पर अब भी अपना पत्ता नहीं खोला है। वह है प्रधानमंत्री मोदी की भाजपा के प्रति उनका रुख। इस मामले में वे अबतक मिश्रित इशारा करते रहे हैं, जिससे तत्काल कोई नतीजा नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने कल ही दिल्ली में अखबारों के प्रतिनिधियों से बात करते हुए भाजपा के प्रति अपनी निराशा भी दिखाई और साथ ही उम्मीद भी।

चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार के खिलाफ विधानसभा चुनाव में उतरने की रणनीति पर भाजपा से पूरी बात हुई थी। उनकी सहमति थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें ऐसे वक्त अकेला छोड़ दिया, जब उन्हें उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। इन बातों से चिराग की भाजपा से निराशा झलकती है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री पर भरोसा है। चिराग ने अबतक प्रधानमंत्री या अमित शाह की आलोचना नहीं की है।

चिराग की यह दुविधा है या रणनीति, कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना तय है कि उनके बिहार दौरे से स्पष्ट हो जाएगा कि 2024 में बिहार का पासवान समाज मोदी के साथ रहेगा या खिलाफ में झंडा उठा लेगा।

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आम लोगों में यह धारणा बन गई है कि सारा खेल भाजपा ने किया। भाजपा ने चिराग का इस्तेमाल किया। खुद चिराग भी कह चुके कि विस चुनाव में नीतीश के विरोध की रणनीति पर भाजपा से पूरी बात हो गई थी। चिराग के दौरे से यह बात स्थापित होती जाएगी कि भाजपा ने छल किया। लोग भाजपा का पिछला इतिहास भी याद करेंगे कि जो भी दल भाजपा के साथ गया, वह कमजोर हुआ। खुद नीतीश इसके उदाहरण हैं। शिवसेना ने समय रहते समझ लिया, तो उसने राह अलग कर ली। इस तरह भाजपा के सामने एक नैतिक प्रश्न खड़ा होगा। उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होगा। अगर यह धारा बढ़ी, तो भाजपा के लिए कठिनाई होगी। अब ये वक्त बताएगा कि चिराग प्रधानमंत्री मोदी के हनुमान रहेंगे या उनके खिलाफ अर्जुन बनेंगे।

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