जगदानंद का इस्तीफा, क्या है हकीकत, हमसे जानिए

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के इस्तीफे की उड़ती खबर की जानिए इनसाइड स्टोरी। आइए, जानते हैं सचमुच में क्या और कैसे हुआ।

आज राजनीतिक गलियारों में खबर उड़ी कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष और लालू प्रसाद के सबसे करीबी नेता जगदानंद सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके तुरत बाद पार्टी प्रवक्ता खंडन करने में जुट गए और इस खबर को महज अफवाह बताया। नौकरशाही डॉट कॉम ने अंदरखाने की रीयल स्टोरी खोज निकाली।

खुद जगदानंद सिंह से जब पत्रकारों ने इस्तीफे के बारे में पूछा, तो उनका जवाब था मुझसे कुछ भी बोलवाना इतना आसान नहीं है। मीडिया में जो बातें आ रही हैं, उसे वे रोक नहीं सकते। इन दो पंक्तियों में उन्होंने इशारा कर दिया।

जगदानंद सिंह के इस्तीफे की बात पर आने से पहले एक बात याद कर लें। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे हुआ करते थे, तब भी उनके इस्तीफे की चर्चा हुई थी। तब तेज प्रताप यादव ने आरोप लगाया था कि पार्टी के कुछ सीनियर नेता युवा नेताओं की अवहेलना करते हैं। उनका इशारा पूर्वे की तरफ ही था। यह बात 2018 की है।

आज भी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की इस्तीफे की खबर का एक तार तेज प्रताप यादव से ही जुड़ा है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि तेज प्रताप यादव चाहते हैं कि जब वे पार्टी दफ्तर में आएं, तब पार्टी के राज्य अध्यक्ष उनका स्वागत करने आएं। पार्टी नेता ने कहा कि यह न सिर्फ प्रोटोकॉल के खिलाफ होगा, बल्कि जगदाबाबू की प्रतिष्ठा के भी खिलाफ होगा। एक अन्य सूत्र ने बताया कि यह सही है कि जगदानंद सिंह ने इस्तीफे की बात पार्टी में कही है। कारण भी वही है, जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पूर्वे के साथ था।

हालांकि इसमें जदयू और भाजपा के खुश होने की बात नहीं है, क्योंकि जगदानंद सिंह न सिर्फ पार्टी के सीनियर नेता हैं, लालू के करीबी हैं, बल्कि वे पार्टी की विचारधारात्मक नींव रखनेवालों में हैं। खुद उनका वैचारिक कमिटमेंट सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के प्रति है। जगदानंद सिंह ने इस्तीफे की जो बात की, वह बेवजह दबावों को समाप्त करने के लिए थी। जगदानंद सिंह पुराने समाजवादी हैं। उन्हें मालूम है कि पार्टी में एक से ज्यादा केंद्र होने पर पार्टी चल नहीं सकती। उन्होंने पार्टी की एकता के लिए ही यह कदम उठाया।

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पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि जगदानंद सिंह पूरी पार्टी के गार्जियन हैं। पार्टी के स्तंभ हैं। अगर वे इस्तीफा देंगे, तब भी लालू प्रसाद उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं करेंगे। यह बात जगदा बाबू को भी मालूम है।

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By Editor