नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के जस्टिस स्‍वतंत्र कुमार ने अपने पांच साल के कार्यकाल पूरा करने के बाद आज रिटायर हो गए.  हालांकि उनके उत्तराधिकारी अभी तक नियुक्त किए गए हैं. बता दें कि 20 दिसंबर, 2012 को एनजीटी अध्यक्ष के नियुक्त किए जाने के बाद जस्टिस कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में इस्तीफा दे दिया था और यह कार्यभार संभाला था. 

नौकरशाही डेस्‍क

जस्टिस कुमार इससे पहले वह सुप्रीम कोर्ट और पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट में जज रहे. बॉम्बे हाई कोर्ट में तो वह चीफ जस्टिस रह चुके हैं. 31 दिसंबर 1947 को पैदा हुए स्वतंत्र कुमार 12 जुलाई 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में ऐडवोकेट के तौर पर शामिल हुए थे.  एनजीटी प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई ऐतिहासिक आदेश और निर्णय पारित किए. इसमें 10 वर्षीय डीजल और 15 वर्षीय पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध, गंगा और यमुना के पुनर्जीवन, हिमाचल प्रदेश में अवैध होटलों का विध्वंस, दिल्ली, हरिद्वार और पंजाब में प्लास्टिक की वस्तुओं पर प्रतिबंध प्रमुख है.

अभी हाल ही में उन्‍होंने वैष्णो देवी में प्रति दिन 50,000 से अधिक तीर्थयात्रियों की संख्या को कैंप करने और अमरनाथ में शांति बनाए रखने के लिए के निर्देश दिये. उनके बारे में एक्सपर्ट और एनजीटी बार के वकील ऋत्विक दत्ता कहते हैं, ‘मैं जस्टिस स्वतंत्र कुमार को टी. एन. शेषन (पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर) की तरह देखता हूं. मतलब एक ऐसे व्यक्ति की तरह जिन्होंने संस्थान को पहचान दिलाई, न कि संस्थान ने उन्हें. बता दें कि वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटान के लिए राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 के तहत 18 अक्टूबर, 2010 को स्थापित किया गया था.

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