रजक का RJD में शामिल होना JDU का सर चकराने वाला क्यों ?रजक का RJD में शामिल होना JDU का सर चकराने वाला क्यों ?

रजक का RJD में शामिल होना JDU का सर चकराने वाला क्यों ?

भले ही गंगा कभी उलटी दिशा में न बहे पर राजनीति एक ऐसी नदी है जिसका बहाव कभी-भी उलटी दिशा में संभव है. श्याम रजक जदयू छोड़ कर राजद में शामिल होने वाले हैं. उन्होंने राजद से जदयू और जदयू से फिर राजद में आना राजनीतिक नदी के बहाव के उलट जानेे जैसा ही है.

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Irshadul Haque, Editor naukarshahi.com

2009 में जब राजद अपने वजूद के लिए संघर्षरत था तब श्याम रजक ने राजद छोड़ कर जदयू की सदस्यता ली थी और धड़ाक से मंत्री पद पर बिठा दिये गये थे. लेकिन समय ने जब पलटी मारी और 2015 में राजद-जदयू की सरकार बनी तब श्याम रजक के सारे सपने तब चकनाचूर हो गये जब नीतीश के चाहने के बावजूद श्याम रजक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया.

2011 के जनगणना डेटा के मुताबिक फुलवारी शरीफ के नगरीय क्षेत्र में कुल 81 हजार वटर्स हैं. इनमें मुस्लिम वोटर्स 56.7 प्रतिशत हैं. ऐसे में श्याम रजक का जदयू छोड़ने का फैसला दर असल मुस्लिम वोटर्स के जदयू विरोधी रुख का नतीजा है. श्याम रजक के इस फैसले से जहां उन्हें अपने राजनीतिक करियर को सुरक्षित रखने का अवसर होगा वहीं राजद को एक दलित चेहरा मिल जायेगा.

फिर अचानक जब नीतीश राजद का साथ छोड़ कर भाजपा के संग आये तो श्याम रजक का भाग्य उदय हो गया और नीतीश ने उन्हें मंत्री बना दिया. फिलवक्त रजक उद्यग मंत्री हैं.

लेकिन अब यह बात लगभग तय हो चुका है कि श्याम रजक अपने पुराने दल राजद में वापस आने वाले हैं.

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श्याम रजक का राजद में वापसी करना एक बात को लगभग सुनिश्चित कर देगा कि वह फुलवारी विधान सभा से आसानी से जीत हासिल करेंगे. फुलवारी एक सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. और यहां मुसलमान वोटरों की भारी संख्या है. इस लिहाज से रजक का जदयू छोड़ना बड़ा नुकसान माना जा रहा है.

श्याम रजक एक दौर में लालू प्रसाद की आंखों के तारा हुआ करते थे. लेकिन जब संकट के काल में श्याम रजक ने राजद छोड़ दिया तो लालू ने इसका बदला 2015 में चुकाया. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो, माना जाता है कि राजद के जबर्दस्त दबाव के कारण ही श्याम रजक को मंत्री नहीं बनाया गया था. तब श्याम रजक मन मसोस कर रह गये थे.

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लेकिन अब बदलते राजनीतिक हालात में श्याम रजक, राजद में वापसी करने का लगभग फाइनल फैसला कर चुके हैं तो इसका मतलब साफ है कि यह राजद और श्याम रजक दोनों के लिए विन-विन सिच्युएशन है. राजद को एक जनाधार वाला नेता मिल जायेगा तो दूसरी तरफ श्याम रजक अपने विधानसभा क्षेत्र में हार के खौफ से आजाद हो जायेंगे. जैसा कि ऊपर उल्लेख किया जा चुका है कि फुलवारी विधानसभा क्षेत्र में मुसलमान वोटर्स की भारी आबादी है. सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) पर जदयू से मुसलमान बड़े पैमाने पर नाराज हैं. इस डर को श्याम रजक पहले ही भांप चुके हैं. क्योंकि उन्हें फिडबैक मिल चुका है कि जदयू में रहते हुए मुसलमान उन्हें वोट नहीं करेंगे.

ऐसे में रजक, राजद में शामिल हो कर अपना राजनीतिक करियर बचा पायेंगे. उधर राजद को भी श्याम रजक के रूप में एक दलित चेहरा मिल जायेगा.

श्याम रजक का राजद में शामिल होने का फैसला राजनीतिक नदी के बहाव की दिशा उलटी होने जैसी होगी.

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