मिथिलांचल की राजधानी कही जाने वाली दरभंगा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद सरीखे कर्मवीरों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक ‘नेशनल स्कूल’ अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।

महात्मा गांधी ने वर्ष 1920 में अपने रचनात्मक कार्यक्रमों के तहत असहयोग आंदोलन के लिए राष्ट्रीय विद्यालय (नेशनल स्कूल) खोलने का प्रस्ताव रखा। देश के प्रथम पांच नेशनल स्कूलों में दरभंगा का यह नेशनल स्कूल भी शामिल है।

तत्कालीन कलकत्ता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन (1920) में असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसमें कमलेश्वरी चरण सिन्हा, रामबहादुर गुप्ता, हजारीमल बेरोलिया, परमानन्द दारूका एवं धरमलाल सिंह ने भाग लिया था और आंदोलन का समर्थन किया था। असहयोग आंदोलन के प्रारंभ होने से पूर्व राष्ट्रपिता ने दरभंगा शहर के बेंता मुहल्ले में स्थित नेपाली कैम्प मैदान में आयोजित एक सभा को संबोधित किया और छात्रों से असहयोग आंदोलन में भाग लेने की अपील की।

सभा के बाद हुई गुप्त बैठक में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन कार्यक्रम की सफलता के लिए ‘राष्ट्रीय विद्यालय’ अर्थात् नेशनल स्कूल खोलने की योजना को स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों ब्रजकिशोर प्रसाद, धरणीधर प्रसाद और बाबू कमलेश्वरी चरण सिन्हा के समक्ष रखा। दरभंगा वकालतखाना में ब्रजकिशोर प्रसाद के सभापतित्व में बैठक हुई और बाबू कमलेश्वरी चरण सिन्हा को स्थापना की जवाबदेही सौंपी गयी। अथक परिश्रम के बाद स्थानीय लालबाग मुहल्ला में यह विद्यालय वर्ष 1920 में खोला गया।

वर्ष 2020 में स्कूल की भी सौवीं वर्षगांठ होगी लेकिन दुर्भाग्य इसका पीछा नहीं छोड़ रहा। स्वतंत्रता सेनानियों का आश्रय स्थल नेशनल स्कूल का वजूद ही समाप्त हो रहा है। स्कूल परिसर का इस्तेमाल स्थानीय लोग शौचालय के रूप में करते खुलेआम देखे जा सकते है जबकि इस परिसर से स्थानीय ही नहीं बल्कि उत्तर बिहार और नेपाल में चलाये गए स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास जुड़ा हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन के क्रम में महात्मा गांधी ने स्वयं वर्ष 1927 में इस परिसर के एक हिस्से में अनाथालय का शिलान्यास किया था। वर्ष 1930 में यह संस्थान उत्तर बिहार का प्रमुख ‘सत्याग्रह शिविर’ बन गया, जहां स्वतंत्रता सेनानियों की गुप्त बैठकें होती थी। मार्च 1930 में गांधी जी के नेतृत्व में चलने वाले नमक आंदोलन के क्रम में आंदोलनकारियों का एक समूह अंगेजों का विरोध करते हुए इस स्कूल में जमा हुए और कानून व्यवस्था को भंग करते हुए सभा की।

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