तालिबानी कमांडर ने भारत के सैन्य अकादमी में ली थी ट्रेनिंग

प्रमुख तालिबानी कमांडरों में एक शेर मोहम्मद स्टानिकजई की मिलिट्री ट्रेनिंग भारत में हुई थी। उसने कई युद्धों में भाग लिया। जानिए पूरी विवरण-

तालिबान के सात प्रमुख कमांडरों में एक शेर मोहम्मद स्टानिकजई की सैनिक ट्रेनिंग भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून में हुई। उसने अकादमी में 1981 में रहकर मिलिट्री ट्रेनिंग ली। पत्रकार शुजाउल हक ने ट्वीट करके कहा कि उसके साथ ट्रेंनिंग ले चुके लोग याद करते हैं कि तब और तीन अफगानी थे, जो आज तालिबान में शीर्ष पदों पर हैं।

शुजाउल लिखते हैं कि आईएमए में मिलिट्री ट्रेनिंग लेने के बाद स्टानिकजई ने अफगानिस्तान लौटकर अफगान नेशनल आर्मी ज्वाइन की। वहां वह लेफ्टिनेंट बना। उसने सोवियत-अफगान युद्ध में हिस्सा लिया। वह अफगानिस्तान के इस्लामिक लिबरेशन युद्ध का भी हिस्सा रहा। इसके बाद वह तालिबान में शामिल हो गया। पिछली बार जब तालिबान के हाथ में सत्ता आी, तो स्टानिकजई डिप्टी मिनिस्टर भी रहा। भारत में आईएमए ज्वाइन करने से पहले स्टानिकजई ने राजनीति शास्त्र में पढ़ाई की थी। फिर जब आईएमए ने अफगानियों के लिए अपना दरवाजा खोला, तब वह यहां आया और डेढ़ साल तक रहा। उस समय उसकी उम्र 20 वर्ष थी।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार तालिबानी कमांडर अब्बास स्टानिकजई उर्फ शेरू ने आईएमए में विदेशी कै़ेट के तौर पर ट्रेनिंग ली। उसके बैचमैट उसे शेरू नाम से पुकारते थे। तब से ही उसके नाम के साथ शेरू जुड़ गया। आईएमए में प्री-कमीशन ट्रेनिंग के लिए कई अफ्रीकी और एशियाई देशों से कैडेट शामिल होते थे। यह व्यवस्था 1948 से थी। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से अफगानी कैडेट भी प्री-कमीशन की ट्रेनिंग लेने आने लगे। लगभग एक हजार विदेशी कैडेट यहां ट्रेनिंग ले चुके हैं।

उधर, शुजाउल हक से ट्विटर पर अनेक यूजर ने कई सवाल भी किए। एक सवाल यह है कि क्या अन्य विदेशियों को भी ट्रेनिंग दी गई या स्टानिकजई को विशेषकर ट्रेनिंग दी गई। आशीष नेगी के अनुसार सिर्फ शेरू को नहीं, बल्कि यहां नेपाल, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, मालदीव, पापुआ न्यू गुआना और इथियोपिया सहित कई देशों के कैडेट को ट्रेनिंग दी गई।

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