10 सर्कुलर रोड यानी लालू यादव का आवास। इफ्तार पार्टी को लेकर खचाखच भीड़। दरवाजे के अंदर पैर रखने की जगह नहीं। काउंटरों पर नाश्ता करते लोग। दर्जनों काउंटर, हजारों लोग।
वीरेंद्र यादव
हम दरवाजे पर पहुंचे ही थे कि एक पत्रकार मिल गये। उन्होंने पूछा – महागठबंधन का क्या होगा। हमने अपनी शैली में समझाया। जैसे बारात में सामियाना में बारात-सराती (कार्यकर्ता) के बीच कोलाहल होता रहता है। और मड़वा में विधि-विधान (सत्ता का संस्कार) संपन्न होता रहता है। इस पर उन्होंने कहा कि समधि (नेता) ही लड़ जाएं तब। हमने पूछे कि नीतीश जी आ गये हैं। तब उन्होंने कहा कि नीतीश आ गये हैं। इस पर हमने कहा कि अंदर में समधि गले मिल रहे हैं और दरवाजे आप कह रहे हैं कि समधि लड़ रहे हैं।
दरवाजे से हमने सीधे मुख्य पंडाल पहुंचने की कोशिश की, जहां लालू यादव, नीतीश कुमार, अशोक चौधरी, राबडी देवी और उनका पूरा राजनीतिक परिवार मौजूद था। मीडिया का हुजूम लगा था। उस भीड़ में पार पाना मुश्किल था। हम नाश्ता की तलाश में जुट गये। थोड़ी देर बाद प्लेट हाथ लगी। नाश्ता के बाद पानी की तलाश करने लगे, लेकिन नहीं मिला। आइसक्रीम ‘लूटने’ में जरूर सफल रहे।
अब खबर लूटने की बारी थी। इफ्तार के बाद नीतीश कुमार दस नंबर से बाहर निकल रहे थे। दरवाजे तक छोड़कर लालू लौट आये। दरवाजे पर सीएम की गाड़ी लगी थी। अशोक चौधरी और तेजस्वी यादव गाड़ी की ओर नीतीश के साथ बढ़ रहे थे। लेकिन नीतीश पैदल ही सड़क पार कर एक अण्णे मार्ग की ओर चल दिये। जगजीवन राम की प्रतिमा तक नीतीश को विदा कर अशोक चौधरी और तेजस्वी यादव वापस लौट गये। नीतीश के पीछे मीडिया का काफिला भी था। इस बीच नीतीश कुमार सीएम आवास वाली सड़क तक पहुंच गये। वहीं जगजीवनराम की प्रतिमा के समक्ष नीतीश मीडिया को संबोधित किया।
नीतीश ने दो-टूक शब्दों में कहा- राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी गठबंधन हार की रणनीति बना रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन बिहार के लिए है, बिहार के मुद्दों पर है। महागठबंधन अटूट है।
लालू यादव ने कहा था कि वे आज नीतीश से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करेंगे। लेकिन दस नंबर के ‘इफ्तारी दरबार’ में सन्नाटा पसरा रहा। उधर नीतीश अपने दरवाजे पर चढ़कर खूब बोले और साफ-साफ लालू यादव के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता की कोशिश को सिरे से खारिज कर दिया।
लालू और नीतीश के बयानों में अंतर्विरोध के बावजूद दोनों ने कहा कि बिहार में महागठबंधन अटूट है और सरकार के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दरअसल लालू व नीतीश दोनों अपने-अपने आधार वोट की भाषा बोल रहे हैं। लालू का आधार वोट भाजपा को स्वीकार नहीं सकता और नीतीश का आधार वोट भाजपा को नकार नहीं सकता। वोटों का यही विरोधाभास महागठबंधन में ‘दरार और रार’ का भ्रम पैदा करता है। लेकिन वस्तुत: दरार और रार खबरों से आगे नहीं बढ़ पाता है।