मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज घोषणा की कि महादलित मिशन के तहत अब राज्य में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के अंतर्गत आने वाली सभी जातियों के कल्याण के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन होगा। यानी सरकार ने अब तक पासवान जाति को भी महादलित में शामिल कर लिया है।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से बापू सभागार में भीमराव अम्बेदकर की जयंती के अवसर पर आयोजित दलित सेना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि महादलित मिशन के तहत पहले महादलितों के लिए ही कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही थी, लेकिन अब यह निर्णय लिया गया है कि इसके तहत एससी और एसटी के अंतर्गत आने वाली सभी जातियों के लिए यह योजना चलायी जायेगी। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद वर्ष 2007 में उनकी सरकार ने महादलित आयोग का गठन किया था और इसकी अनुशंसा पर महादलित मिशन के तहत अनुसूचित जाति में आने वाली अत्यंत कमजोर जातियों के उत्थान के लिए कार्यक्रम चलाया गया था।

श्री कुमार ने कहा कि इतने दिनों के बाद अब यह महसूस किया गया कि महादलित मिशन के तहत चलायी जाने वाली योजनाओं का लाभ एससी और एसटी की सभी जातियों को मिले। उन्होंने कहा कि संविधान में कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए विशेष सहायता दिये जाने का प्रावधान है और इसी के तहत बिहार में महादलितों के उत्थान के लिए योजनाएं चलायी गयी थी।

 

श्री कुमार ने कहा कि वर्ष 2005 में उनकी सरकार के सत्ता में आने से पहले वर्ष 2005-06 में एससी-एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए 32 करोड़ 41 लाख रुपये का ही प्रावधान था लेकिन उनकी सरकार ने इसे बढ़ाते हुए 428 करोड़ रुपये तक ला दिया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2005 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण का बजट 40.48 करोड़ था जो अब 1550 करोड़ रुपये है।

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