जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने मुसलमानों को अंदर तक झकझोड़ते हुए कहा है कि मुसलमानों के पीर से ले कर फकीर तक मानसिक गुलाम बन चुके हैं.
रहमान ने अपने बयान में यहां तक कहके मुसलमानों में झकझोड़ने की कोशिश की है कि मुस्लिम नेतृत्व से ले कर आम लोग तक मनोवैज्ञानिक तौर पर पिछड़ चुके हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज पिछड़ेपन की सूची में दूसरे या तीसरे स्थान पर नहीं बल्कि 98-99 स्थान पर पहुंच चुका है.
रहमान ने जोर दे कर कहा है कि जब तक मुसलमान मानसिक गुलामी से बाहर नहीं निकलेंगे तब तक वे आगे नहीं आ सकते. रहमान ने वैसे लोगों पर भी निशाना साध जो मुसलमानों की बेदारी के लिए किये जाने वाले कार्यक्रमों पर व्यंग्य करके ऐसे कार्यक्रमों को कमजोर करने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा कि मुस्लिम नेतृत्व नाकारात्मक सोच का शिकार है इस कारण जब समाज के लिए कोई साकारात्मक पहल की जाती है तो वे टांग खिचाई में लग जाते हैं. रहमान ने ऐसी सोच वाले लीडरों पर हमला बोलते हुए कहा कि ये ऐसे लीडर हैं जो सत्ताधारी पार्टियों की जूतियां सीधी करने में अपनी शान समझते हैं. रहमान ने यहां तक कहा कि ये ऐसे लीडर हैं जो सामाजिक न्याय के नाम पर राजनीति करने वालों के यहां सजदा करना ही अपना ईमान समझते हैं जबकि मुस्लिम समाज के लिए काम करने वालों के खिलाफ खड़े हो जाते हैं.
अशफाक रहमान ने कहा कि मुस्लिम नेतृत्व सियासी चमचागिरी को ही सियासत समझता है. उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि मुसलमान सियासत से मीलों दूर जा चुके हैं.
रहमान ने अरस्तु का हवाला देते हुए कहा कि जो समाज सियासत से दूर हो जाता है वह पूरी तरह से गुलाम बन कर रह जाता है. रहमान ने कहा कि मुसलमान सियासत से दूर हो कर खुद को गुलामी की दहलीज तक पहुंचा चुके हैं.