उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने नीति निर्धारण और योजनाओं के क्रियान्वयन में आंकड़ों की गुणवत्ता के महत्व पर बल देते हुए कहा कि गलत आंकड़े न सिर्फ बाजार में उतार-चढ़ाव ला सकते हैं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी गंभीर संकट पैदा कर सकते है । श्री अंसारी ने एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट (आद्री) के रजत जयंती समारोह के अवसर पर चार दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कहा कि कि खुली अर्थव्यवस्था और सिमटती दुनिया में बाजार की प्रतिक्रियात्मकता आंकड़े और जानकारी बांटने में और अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है ।
उन्होंने कहा कि गलत आंकड़े और उसकी गलत व्याख्या बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकता है । इसलिए आंकड़े की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए सांख्यकी शिक्षा और प्रशिक्षण को बेहतर बनाये जाने की आवश्यकता है । उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी एजेंसियों की ओर से एकत्रित किये गये आंकड़े को बेहतर बनाये जाने के लिए समय सीमा के अंदर सर्वेक्षण किये जाने की आवश्यकता है । समय सीमा का पालन नहीं होने से भी संचित किये जा रहे आंकड़े की गुणवत्ता पर असर पड़ता है । उन्होंने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिए हर संभव प्रयास किये जाने की जरूरत है ।
श्री अंसारी ने फ्रेंच अर्थशास्त्री थॉमस पिकेती का उद्धरण देते हुए कहा कि भारत में आयकर दाताओं के आंकड़े भी प्रमाणिक नहीं है और सरकार जातीय आधारित जनगणना के आकड़ों को सार्वजनिक करने से संकोच कर रही है। इस परिस्थिति में भारत में किस स्तर तक असामान्यता है , इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। केन्द्र सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2012-13 के लिए जारी किये गये आयकर के आंकड़े ने भी टैक्स चोरी को लेकर एक बहस को जन्म दिया है।