उच्चतम न्यायालय ने अपनी निगरानी में उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराए जाने के तौर तरीकों का पता लगाने के लिए केन्द्र को और दो दिन का समय दिया है। केन्द्र ने उत्तराखंड में गतिरोध के समाधान के उपाय तलाशने के लिए और समय देने के वास्ते न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की खंडपीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह बयान दर्ज करने के बाद मामले की सुनवाई नौ मई के लिए स्थगित कर दी कि केन्द्र सरकार इस मामले में हुए विवाद को समाप्त करने के लिए विधानसभा में शक्ति परीक्षण करने के शीर्ष न्यायालय के सुझाव पर गंभीरता से विचार कर रही है। उत्तराखंड़ के निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि केन्द्र इस सुझाव को स्वीकार करता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
खंडपीठ ने कल श्री रोहतगी से कहा था कि वह केन्द्र से निर्देश प्राप्त करें कि क्या न्यायालय की निगरानी में विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराया जा सकता है। शीर्ष न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि श्री रोहतगी इस सुझाव पर केन्द्र से कोई निर्देश नहीं प्राप्त करते हैं तो मामले की फिर सुनवाई होगी और मामले को पूर्ण बहस के लिए संविधान पीठ भेजा जा सकता है। खंडपीठ का विचार था कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के ज्यादातर मामलों में अधिकतर कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देशों या सवालों के साथ संविधान पीठ के पास गए हैं।