पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने राज्य सरकार पर निवेशकों को हतोत्साहित करने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि नयी औद्योगिक नीति 2016 में निवेश को आकर्षित करने के लिए पहले से मिल रही सुविधाएं समाप्त कर दी गयी है जिसके कारण अब कोई भी निवेशक बिहार की ओर देखना भी पसंद नहीं करेगा ।
श्री मोदी ने पटना में कहा कि औद्योगिक नीति 2011 में निवेशकों को कर में छूट और अनुदान समेत जो अन्य सुविधाएं मिल रही थीं, उसे औद्योगिक नीति 2016 में समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वैसे ही राज्य में खराब विधि-व्यवस्था के कारण निवेशक पूंजी लगाने में झिझकते रहे थे। नयी औद्योगिक नीति के बाद वे बिहार की ओर देखना भी पसंद नहीं करेंगे। भाजपा नेता ने कहा कि औद्योगिक नीति 2011 में पूंजीगत अनुदान के तहत खर्च का 20 प्रतिशत अधिकतम 75 लाख रुपये संयंत्र की स्थापना और मशीनरी की खरीद के लिए दिया जाता था। इसी तरह नये बड़े उद्योग को 20 प्रतिशत या अधिकमत पांच करोड़ रुपये तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को 35 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान था, जिसे नयी औद्योगिक नीति 2016 में समाप्त कर दिया गया है।
श्री मोदी ने कहा कि इसी तरह कार्बन क्रेडिट यूनिट इंसेंटिव के तौर पर लागत का 50 प्रतिशत अधिकमत 15 लाख रुपये अनुदान, लघु एवं सूक्ष्म इकाइयों के लिए जमीन और शेड पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपये इंसेंटिव, इसी तरह वृहद, मध्यम और मेगा उद्योगों के लिए लागत का 25 प्रतिशत और अधिकतम 30 लाख रुपये अनुदान का प्रावधान था, जिसे नयी औद्योगिक नीति में समाप्त कर दिया गया है।