25 मार्च 1999 को जन्मे उज्जवल को इस बात की काफी खुशी है कि अब उसकी उम्र 2 वर्ष कम हो गयी है. जानिए कैसे हुआ यह.
विनायक विजेता
बच्चों का स्कूलों में दाखिला अगर इसलिए नहीं हो रहा कि उसकी उम्र ज्यादा है तो आप परेशान न हों. पटना के समाहरणालय में उम्र कम कने के उपाय हैं.
आप सीधे गांधी मैदान स्थित पटना समाहरणाल के बाहर पहुंच जाएं। एफेडेविट-एफेडेविट चिल्लाते रहने वाले किसी एक दलाल को पकडे। उनके कान में अपने कार्य के लिए फुसफुसाएं। फिर क्या आधे घंटे के अंदर आपके मनचाहे डेट आफ बर्थ वाला जन्म प्रमाण पत्र आपके पास हाजिर।
वह भी ऐसा प्रमाण पत्र जो असली को भी मात कर दे। प्रशासन की नाक के नीचे यह खेल पिछले कई वर्षों से खेला जा रहा है। महज दो से ढाई सौ रुपयों के बीच बनने वाले इस प्रमाण पत्र के लिए अभिभावकों को किसी तरह की परेशानी भी नहीं उठानी पडती। अप्रैल माह में जब स्कूलों में नए छात्रों के नामांकन का समय आता है तब यह धंधा और भी जोर पकड लेता है।
सूत्रों के अनुसार समाहरणालय के बाहर स्थित होटलों के पीछे बंदनुमा और कम्प्यूटर से सुसज्जित केबीनों में यह काम धडल्ले से हो रहा है। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों को इन केबीनों के बारे में इस लिए पता नहीं चल पाता क्योंकि एजेंट उन्हें काफी दूर और ऐसी जगह बैठा देते हैं जहां से ऐसे धंधाबाजों की कारगुजारियां और उनके क्रियाकलाप देखे नहीं जा सकते।
ऐसे गोरखधंधे को उजागर करने के लिए उज्जवल आकाश नामक एक छात्र जिसकी वास्तविक जन्म तिथि 25 मार्च 1999 है के नाम पर प्रमाणपत्र बनवाना चाहा तो तथाकथित एजेंट ने वर्ष 2008 के निबंधन और 25 मार्च 2001 में हुए जन्म वाला प्रमाणपत्र आधे घंटे के अंदर बनवा कर दे दिया। सबसे आश्चर्यचकित कर देने वाली बात तो यह है कि फर्जी प्रमाणपत्र पर भी रस्ट्रिार, जन्म-मृत्यु शाखा, पटना नगर निगम का वैसी ही मुहर लगी है जैसी मुहर उज्जवल आकाश नाम के छात्र का पटना नगर निगम से निर्गत असली प्रमाण पत्र पर लगी है।