हड़तालरत डॉक्टरों को हड़का कर झुकाने के जुगत में बिहार सरकार पूरी तरह नाकाम रही.इतना ही नहीं उलटे सरकार को ही झुकना पड़ा और उनकी प्रमुख मांगें माननी पड़ीं हैं.अब डॉक्टर काम पर लौट गये हैं.

अश्विनी चौबे:इस बार धमकी काम न आई

बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के महासचिव डा.अजय कुमार ने बताया कि सरकार के साथ संविदा चिकित्सकों को स्थायी करने समेत अन्य बिंदुओं पर सहमति बन जाने के बाद सभी चिकित्सक काम पर लौट आए हैं.
राज्य के चिकित्सक, संविदा चिकित्सकों को स्थायी किये जाने, केंद्र की तरह भत्ता व अन्य सुविधाएं दिये जाने, चिकित्सा निदेशालय को मजबूत करने व सुरक्षा व्यवस्था जैसी मांगों को लेकर सोमवार की रात बारह बजे से हड़ताल पर चले गये थे.

मंगलवार को डाक्टरों व सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की वार्ता के बाद डाक्टर हड़ताल समाप्त करने पर राजी हो गये.

इसके पहले स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने अपनी आदत के मुताबिक हड़ताल कर रहे डाक्टरों की मांगों पर गौर करने के बजाये धमकी दी थी कि अगर उन्होंने हड़ता नहीं की तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

लेकिन अचानक डाक्टरों की हड़ताल खत्म करने के लिए हड़काने वाले मंत्री को झुकना पड़ा. दरअसल डॉक्टरों और स्वास्थ्यमंत्री के बीच सौहार्दपूण रिश्ते पिछले एक साल से नहीं रहे हैं. पिछले साल जनवरी में सरकार के खिलाफ आंदोन कर रहे जुनियर डॉक्टरों के हाथ काट लेने की धमकी दे कर अश्वनि चौबे ने देश भर में कोहराम मचा दिया था. तब उनकी बड़ी आलोचना हुई थी.
लेकिन इस बार फजीहत से बचने के लिए राज्य सरकार ने महज एक दिन की हड़ताल पर उनकी महत्वपूर्ण मांगें मान ली हैं.

समझौते के नुसार सरकार ठेके पर काम कर रहे चिकित्सकों को स्थायी करने पर राजी हो गयी है. इसके लिए चिकित्सकों को कोई परीक्षा नहीं देनी होगी. इसके साथ ही वेतनमान को लेकर चली आ रही जिच भी खत्म हो गयी है. बुनियादी वेतन को फिर से 20,280 कर दिया जाएगा. साथ ही सामान्य चिकित्सकों को तीन, ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सकों को दो अतिरिक्त (यानी कुल पांच) इनक्रीमेंट दिये जाएंगे.विशेषज्ञ चिकित्सकों को तीन अतिरिक्त (यानी कुल आठ) इनक्रीमेंट मिलेंगे. केंद्र सरकार की ही तरह राज्य के डाक्टरों के लिए चार स्तरीय एसीपी स्वीकार कर लिया गया है.

सरकार चिकित्सा निदेशालय को मजबूत करने पर भी सहमत है.इस काम के लिए जल्द ही एक समिति का गठन किया जाएगा.इस समिति में स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रतिनिधि भी शामिल किये जाएंगे.कार्यस्थल पर चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। सरकार जिला स्वास्थ्य समिति से जिलाधिकारी व रोगी कल्याण समिति से एसडीओ को अलग करने पर भी राजी हो गई है

By Editor