बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में तोड़ फोड़

पिछले कुछ दिनों में छात्रों का हिंसक रूप सामने आया है. हफ्ते भर पहले प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बीएसएसी के सचिव परमेश्वर राम की जम कर पिटाई कर दी तो कल ही 12वीं के छात्रों ने बिहार बोर्ड में जम कर तोड़फोड़ और आगजनी की.

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में तोड़ फोड़
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में तोड़ फोड़

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

पहली नजर में देखें तो ये दोनों घटनायें नाकारा हो चुके हमारे सिस्टम के खिलाफ हिंसक प्रतिवाद का प्रतीक हैं. पहली घटना को अभ्यर्थियों ने इसलिए अंजाम दिया कि क्लर्क नियुक्ति परीक्षा में लगातार दो चरणों में प्रश्नपत्र लीक के मामले सामने आये. लेकिन सचिव ने हर बार यही कहा कि अफवाह है. जबकि अब सच्चाई जैसे-जैसे सामने आ रही है इससे यह साफ हो चुका है कि भ्रष्टाचार हमारे सिस्टम की रगों में गहराई तक पेवस्त हो चुका है.

 

दूसरी घटना, यानी बिहार बोर्ड के साइबर सेल में घुस कर छात्रों ने कम्प्युटरों को ना सिर्फ पटक-पटक कर तोड़ डाला बल्कि उनमें आग तक लगा दी. छात्रों का आरोप है कि परीक्षा शुरू होने में बस एक दिन शेष है लेकिन उनके ए़डमिट कार्ड में भारी खामियां हैं. करीब डेढ़ हजार छात्रों के ए़डमिट कार्ड में ऐसे विषयों को दर्शाया गया है जो उनकी पढ़ाई का हिस्सा नहीं थे. उनका आरोप है कि परीक्षा हाल में उन्हें, उनके द्वारा चुने गये विषयों की परीक्षा नहीं देने दी जायेगी और ऐसे में उनका करियर चौपट हो जायेगा. उनका तर्क सही है. अब सवाल यह है कि ऐसी गड़बड़ियां जब सामने आयेंगी तो इससे नाराजगी और आक्रोश का जन्म लेना स्वाभाविक है. पर इस नाराजगी का हिंसक रूप से प्रकट करने को किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता.

लेकिन छात्रों की इस उग्रता की आलोचना करके हम अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकते. अभी पिछले साल की ही बात है कि बिहार बोर्ड में हुए टाॉपर घोटाले ने बोर्ड की विश्वसनीयता को कलंकित कर दिया है. बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष समेत कई भ्रष्टाचारी जेल की सलाखों में हैं. ऐसे में हम जब तक अपने सिस्टम को दुरुस्त नहीं करते, तब तक इस सिस्टम के प्रति सम्मान की भावना की उम्मीद भी नहीं कर सकते.

हालांकि बिहार सरकार ने बिहार बोर्ड में बुनियादी सुधार के लिए मजबूत कदम उठाये हैं. आनंद किशोर जैसे सक्षम आईएएस अफसर को इसकी कमान सौंपी गयी है. उन्होंने पिछले कुछ महीनों में बोर्ड की विश्वसनीयता बहाल करने में एक हद तक कामयाबी भी हासिल की है. लेकिन इन सब बातों के बावजूद बोर्ड में बैठे पुराने कर्मी उसे पुराने कल्चर के शिकार हैं. उधर कालेजों से अब भी गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं जिससे बोर्ड के समक्ष परेशानियां कम नहीं हो रही हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसी गड़बड़ियां ठीक होंगी. उधर छात्रों को भी ऐसे मामलों में अपना धीरज नहीं खोना चाहिए.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427