केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर करने वाले एम्स के पूर्व सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले में मोदी सरकार को झटका देते हुए मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें उनसे कैडर बदलने के लिए फिर से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाने को कहा गया था।
2002 बैच के भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के हरियाणा कैडर के अधिकारी श्री चतुर्वेदी ने अक्टूबर 2012 में कैडर बदलकर उत्तराखंड जाने के लिए आवेदन किया था। हरियाणा और उत्तराखंड सरकारों तथा केंद्रीय वन मंत्रालय ने पिछले साल इसकी अनुमति दे दी थी। वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले साल 25 जुलाई को इससे संबंधित फाइल को अंतिम मंजूरी के लिए एसीसी के पास भेजा था। लेकिन इस बीच एम्स में हुए विवाद के बाद उनकी फाइल छह महीने तक एसीसी में लंबित रही और इस साल 28 जनवरी को एसीसी ने उन्हें फिर से दोनों राज्यों की तरफ से एनओसी लाने को कहा। श्री चतुर्वेदी ने इसे कैट में चुनौती दी जिसने एसीसी के आदेश पर रोक लगा दी और कैबिनेट सचिव, कार्मिक विभाग और वन मंत्रालय को नोटिस जारी किए थे।
बुधवार को कैट ने अपने आदेश में कहा कि एसीसी का आदेश प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। कैट ने कहा कि ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए, जहां ईमानदार आदमी को सजा मिले और भ्रष्ट लोगों को पुरस्कृत किया जाए। ऐसी व्यवस्था लंबे समय तक नहीं चल सकती। कैट ने सरकार को श्री चतुर्वेदी के मामले पर दो महीने में फैसला करने को कहा है। साथ ही कहा कि अगर श्री चतुर्वेदी केंद्र सरकार के आदेश के संतुष्ट न हो तो वह फिर से कैट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।