‘सरकार का काउंट डाउन’ का असर नौकरशाही पर भी दिखने लगा है। सचिवालय के विभिन्न बिल्डिंगों में यही चर्चा है कि 8 नंबवर के बाद किसकी नैया डुबेगी और किसकी नैया किनारे लगेगी। सचिवालय के मुख्य भवन का स्वरूप बदलेगा और चैंबरों का नेमप्लेट भी बदल सकता है।
वीरेंद्र यादव
सबसे बड़ा सवाल है कि सरकार के प्रशासनिक मुखिया मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह और पुलिस प्रमुख डीजीपी पीके ठाकुर का भविष्य क्या होगा। दोनों शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी रहेंगे या उनको नयी जिम्मेवारी सौंपी जाएगी। इनकी जगह कौन लेगा। माना यह भी जा रहा है कि नीतीश कुमार की वापसी हुई तो अंजनी कुमार सिंह का कार्यकाल बढ़ सकता है। लेकिन इस विस्तार के लिए लालू यादव की सहमति आवश्यक है। यही शर्त पीके ठाकुर के लिए भी है। लालू यादव के साथ ये शीर्षस्थ अधिकारी कार्य कर चुके हैं और इनके प्रति लालू यादव का आग्रह या पूर्वाग्रह भी बड़ा फैक्टर बन सकता है।
यदि सरकार बदलेगी तो दोनों की विदाई भी तय मानी जा सकती है। उस स्थिति में भाजपा नेतृत्व की पसंद महत्वपूर्ण हो जाएगी। अधिकारियों के चयन में पीएमओ का हस्तक्षेप भी बढ़ सकता है। उससे पहले सरकार के गठन के लिए सीएम उम्मीदवार के चयन में प्रधानमंत्री का सीधा निर्देश होगा। तब अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग में पीएमओ का हस्तक्षेप जगजाहिर होगा। लेकिन सब कुछ 8 नवंबर की मतगणना के बाद ही संभव है। तब तक कयासों का बाजार गर्म है। आइएएस और आइपीएस अधिकारी भी हवा का रुख पहचानने में जुटे हुए हैं।