राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आखिर ऐसा कड़ा निर्देश क्यों दिया.उसने क्यों पुणे के पुलिस कमिशनर को गिरफ्तार कर आयोग के सामने पेश करने को कहा?
मानवाधिकार आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था को ऐसा आदेश देने के लिए विवश होना पड़ा क्योंकि पुणे के पुलिस कमिशनर पर आरोप लगा है कि उन्होंने आयोग के निर्देश को दरकिनार कर दिया. दर असल आयोग के समक्ष यह शिकायत मिली थी कि अनुसूचित जाति के किशन नादेव गोडके की अर्जी पर पुणे पुलिस ने कार्रवाई नहीं की.
गोडके के बेटे का अपहरण हो गया था जिसकी कथित तौर पर बाद में हत्या कर दी गयी थी. फिर इस मामले में गोडके ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी. उसके बाद आयोग ने पुलिस कमिशनर को इस पर कार्रवाई करने को कहा था पर आयोग का कहना है कि कमिशनर ने उसके आदेश को गंभीरता से नहीं लिया. इससे नाराज आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यसचिव को हिदायत दी है कि वह पुलिस कमिशनर को गिरफ्तार करें और आयोग के समक्ष 28 जनवरी 20124 को पेश करें.
हालांकि आयोग ने इस गिरफ्तारी को सांकेतिक गिरफ्तारी कहा है.
मालूम हो कि आयोग ने बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में पुणे पुलिस से कहा था कि वह इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग को सौंपे पर पुणे पुलिस ने इस पर कोई जवाब तक नहीं दिया.
इतना ही नहीं आयोग को इस सिलसिले में पुलिस की तरफ से जब कोई रिपोर्ट नहीं भजी गयी तो आयोग ने कई बार पुलिस को सूचित किया फिर भी पुणे पुलिस खामोश रही.