केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा में प्रदूषणकारी गतिविधियों की मानीटरिंग के लिए हर जिले में गंगा वाहिनी बनेगी। इसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगे। उन्होंने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने आज घोषणा की कि गंगा नदी की सफाई का काम 45 दिन के अंदर शुरू हो जाएगा और 140 नालों से गंदगी की नदी में निकासी पर रोक और तटों पर हरियाली लगाने से यह काम प्रारंभ किया जाएगा।
प्राधिकरण की उपाध्यक्ष सुश्री भारती ने बताया कि सबसे पहला फोकस 140 नालों और उन छोटी नदियों पर होगा, जो नालों में तब्दील हो गयी हैं। इसी समय नदी तटों पर हरियाली लगाने का काम भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगोत्री से गंगा सागर तक औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे एवं सीवर लाइनों का प्रवाह गंगा में पूरी तरह से निषिद्ध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गंगा में प्रदूषण रोकने के लिये दो चरणीय निगरानी व्यवस्था कायम की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इन नालों के गंदे पानी का ट्रीटमेंट करके निकले पानी को भी नदी में नहीं जाये बल्कि उसका अन्य कार्यों में उपयोग किया जाए। सुश्री भारती ने बताया कि गंगा के प्रवाह वाले राज्यों के सहयोग से गंगा स्वच्छता के तात्कालिक एवं मध्यम कालिक उपायों का क्रियान्वयन 45 दिन के अंदर शुरू हो जाएगा।
इस मौके पर बिहार के जल ससंधानमंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार की स्वच्छता के लिए वचनबद्ध है। इस दिशा में केंद्र सरकार की सभी कार्ययोजनाओं में राज्य सरकार पूरा सहयोग करेगी बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री शामिल हुए। जबकि केन्द्र सरकार की ओर से सडक, नौवहन एवं ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी, वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह भी मौजूद थे।