जेल की ऊंची चहारदीवारी को लांघना आसान नहीं पर बक्सर जेल के चार कुख्यात कैदियों ने ऐसी तरकीब निकाली जिसे जान कर आप भी हैरत में पड़ जायेंगे. उधर प्रशासन ने इस मामले में सात जेलकर्मियों को निलंबित कर दिया है
जेल की ऊंची दीवार को फांद कर भागने के बाद हत्या और अपहरण के आरोपों में बंद इन कैदियों ने जो सुबूत छोड़े हैं उससे लगता है कि उन्होंने दीवार फांदने के पहले पूरा होमवर्क किया था. मौकए वारदात से पुलिस को कुछ सुबूत मिले हैं. इनमें वो सात गमछियां भी शामिल हैं जिन्हें आपस में जोड़ कर रस्सी का काम लिया गया था.
हालांकि जेलकर्मियों को अभी यह निश्चित तौर पर नहीं पता कि ये कैदी कितने बजे फरार हुए. पर जो सूचनायें मिली हैं उसके अनुसार जेल के अधिकारियों को शनिवार सुबह दस बजे पता चल सका कि कुछ कैदी फरार हो चुके हैं. हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि ये कैदी शनिवार की सुबह होने से पहले ही अंधेरे का लाभ लेकर भागने में सफल हुए हैं. हालांकि जेल की दीवारों के पास लाइट की भी व्यवस्था है पर माना जा रहा है कि जेल से भागने के लिए कैदियों ने बिजली कटने का इंतजार किया होगा.
चहारदीवारी को फांदने के बाद कैदियों ने अपनी चप्पलें भी वहां छोड़ी हैं. जाहिर है चप्पलें छोड़ना उनकी मजबूरी रही होगी क्योंकि गमछियों के सहारे जब वह जेल फांद रहे होंगे तो ऐसे में चप्पलों से उन्हें परेशानी हो रही होगी.
हालांकि जिले के एसपी बाबू राम और अपर समाहर्ता अजय कुमार इस बात पर सहमत हैं कि इस फरारी में जेलकर्मियों का भी हाथ है. इसलिए जेलकर्मियों में प्रधान सहायक विश्वनाथ प्रसाद सिंह प्रेमचन्द द्विवेदी, अवधेश यादव, अर्जुन सोरेन, बैरिस्टर पाण्डेय, संतोष शर्मा और रमेश कुमार कारापाल को अपने कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है.
भागने वाले कैदियों में से तीन अरमान अंसारी, विशाल श्रीवास्तव और बोतल महतो कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े हुई हत्या के आरोपित थे जबकि एक अनिल सिंह दलसागर अपहरण कांड का आरोपित था.