बिहार में ग्रामीण शहरीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। केंद्र व राज्य सरकार का ग्रामीण विकास विभाग इसके लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। ग्रामीण शहरीकरण के बेहतर नियोजन की पद्धति विकसित करने के लिए रविवार को कार्यशाला का आयोजन पटना में किया गया। केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग, राज्य का ग्रामीण विकास विभाग और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने इस दिशा में मंथन किया और संकल्प लिया कि आगामी पांच सालों में बेहतर नियोजन के आधार पर गांवों की तस्वीर बदल जाएगी।
बिहार ब्यूरो प्रमुख
इस कार्यशाला को संबोधित करते बिहार के ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव एसएम राजू ने कहा कि सरकार गांवों के शहरीकरण की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। गांव भी एक बड़ा बाजार बन गया है और गांवों का संपर्क शहरों से बढ़ रहा है। इसलिए गांवों में भी शहरी सुख-सुविधाओं की भूख बढ़ रही है। यह तभी संभव है, जब गांवों का नियोजित विकास भी शहरों की तरह हो। उन्होंने कहा कि सरकार पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग सामुदायिक खोलने की योजना है। उन्होंने कहा कि गांवों के नियोजित विकास में बिहार आंध्र प्रदेश से वर्षों पीछे है।
केंद्र सरकार के प्रतिनिधि निलय राय ने कहा कि उचित नियोजन के अभाव में ग्रामीण विकास की योजनाएं समय पर पूरा नहीं हो पाती हैं। उसकी उचित मानीटरिंग भी नहीं हो पाती है। इस कारण कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। कार्यशाला में यह बात निकल कर भी सामने आयी कि गांवों के विकास के वहां के बुजुर्गों की भी मदद ली जा सकती है, ताकि योजनाओं के कार्यान्वयन में उनके अनुभव का लाभ मिल सके। बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों ने उम्मीद जतायी कि कार्यशाला से निकले निष्कर्ष का लाभ गांवों के नियोजित विकास व शहरीकरण में मदद करेंगे। बैठक में बिहार सरकार के भी कई अधिकारी मौजूद थे।