उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित करोड़ों रुपए के लैकफेड घाटाला मामले में पुलिस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के रिटायर्ड अधिकारी रामबोध मौर्य को गिरफ्तार कर लिया.
मौर्य मायावती सरकार के दौरान भूगर्भ एंव खनन निदेशालय में निदेशक थे. उन पर 1.59 करोड़ रुपये के खुर्दबुर्द का आरोप लगा है. इस मामले में बाबू सिंह कुशवाहा भी आरोपी हैं. बाबू सिंह कुशवाहा वही नेता हैं जो एनआरएचएम घोटाला मामले में फिलहाल जेल में हैं.
मौर्य पर आरोप है कि उन्होंने 2011 में महोबा और अलीपुर के बीच 4.2 किलोमीटर सड़क बनवाने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय की अनुमति नहीं ली थी. इस प्रोजेक्ट के लिए 4 करोड़ से अधिक की राशि भी जारी कर दी गयी थी.
उपपुलिस अधीक्षक सहकारिता सेल ए.पी.गंगवार ने बताया कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार में खनिज निदेशक के पद पर रहते हुए रामबोध मौर्य ने नियम विरुध्द कई काम किए. यूपी पावर प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन के बजाय कानून के दायरे से बाहर निकलते हुए लैकफेड को करोड़ों रुपए का काम दे दिया. गंगवार के अनुसार रामबोध मौर्य की गिरफ्तारी से पहले लम्बी पूछताछ की गई . घोटाले में इनकी संलिप्तता के पर्याप्त सबूत मिलते ही इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
इस घोटाले में सिर्फ नौकरशाह ही नहीं हैं बल्कि मायावती कार्यकाल के दौरान मंत्री रहे बादशाह सिंह, रंगनाथ मिश्र और चन्द्रदेव राम यादव समेत 12 लोग पहले ही गिरफ्तार किये जा चुके हैं. इन के अलावा लैकफेड के मुख्य अभियनता गोविन्द शरण श्रीवास्तव, कार्यपालक अभियन्ता डी.के. साहू, अधीक्षण अभियन्ता अजय कुमार दोहरे, जनसम्पर्क अधिकारी प्रवीण सिंह, महाप्रबंधक पंकज त्रिपाठी भी शामिल हैं.