-रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान में बोले पूर्व विदेश मंत्री, यशवंत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी दो टूक राय रखते हुए कहा कि इससे हमें खुद ही लड़ना होगा. कोई दूसरा हमारी रक्षा करने नहीं आयेगा. इसके विरुद्ध हमें वैसे ही सुरक्षा प्रबंध करने चाहिए
नौकरशाही डेस्क, पटना

देश को सबसे अधिक खतरा चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ से है. आनेवाले दिनों में हमें इससे सावधान रहना पड़ेगा. आज भी भारत दुनिया में उतना ही अकेला है, जितना बहुत पहले से था. न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप हो या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का मामला, हमें तब तक कुछ नहीं हासिल होगा, जब तक दुनिया को खुद हमारी जरूरत नहीं महसूस हो. जब अन्य बड़े राष्ट्रों को लगेगा कि हमारे बिना काम नहीं चल सकता, तभी वे हमें ये अधिकार देंगे. ऐसा तभी संभव है, जब हम आर्थिक विकास के रास्ते पर तेजी से चलें और खुद को आर्थिक महाशक्ति बना लें. रविवार को गांधी संग्रहालय में आयोजित रणछोड़ प्रसाद स्मृति व्याख्यान में इंडियाज फॉरेन पॉलिसी एट द क्रॉस रोड्स विषय पर व्याख्यान देते हुए पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा. व्याख्यान में यशवंत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी दो टूक राय रखते हुए कहा कि इससे हमें खुद ही लड़ना होगा. कोई दूसरा हमारी रक्षा करने नहीं आयेगा. इसके विरुद्ध हमें वैसे ही सुरक्षा प्रबंध करने चाहिए, जैसे कि दुनिया के कुछ अन्य देशों ने अपने लिये किया है, भले ही उस पर जितना भी खर्च करना पड़े. वैश्वीकरण पर दुनिया के बड़े देशों के बदलते नजरिये पर व्यंग्य करते हुए यशवंत ने कहा कि जब तक यह विकसित राष्ट्रों के पक्ष में था, सही था. लेकिन जब से यह विकासशील देशों की तरफ देखने लगा, गलत हो गया.