बिहार के चुनावी समर के इस पहलू को दिलचस्पी से जनता देख रही है जहां हरेक पार्टी अपने आक्रमक और शायराना पोस्टर वार से एक दूसरे पर हमल कर रही है.
मुकेश कुमार की रिपोर्ट
बिहार विधानसभा चुनाव में पोस्टर वॉर अपने चरम पर पहुंचता दिख रहा है. सभी पार्टियों ने अपने नए-नए नारों के साथ विरोधियों पर प्रहार करना शुरू कर दिया है. लोकसभा चुनावों के समय भाजपा ने जो वायदे किये थे,उससे मुकरने पर जनता दल यूनाइटेड ने ‘बहुत हुआ जुमलों का वार,फिर एक बार नीतीश कुमार’ का नारा उछालते हुए अपना नारा दिया ‘झांसे में न आयेंगें,नीतीश को जिताएंगें’. दूसरी तरफ ‘अपराध,भ्रष्टाचार और अहंकार,क्या इस गठबंधन से बढेगा बिहार’ से भाजपा नीतीश पर प्रहार करती नजर आती है. तब सत्ताधारी पार्टी गठबंधन का पोस्टर वॉर होता है ‘न जुमलों वाली न जुल्मी सरकार,गरीबों को चाहिए अपनी सरकार’
भारतीय राजनीति में पोस्टर वॉर हमेशा से होता रहा है. पर कभी-कभी यह विपरीत प्रभाव भी डाल देता है. इलाहाबाद से चुनाव हारने के बाद जब इंदिरा गांधी ने संसद में प्रवेश के लिए दक्षिण भारत में एक निर्वाचन चिकमंगलूर का चुनाव किया था तब का एक पोस्टर वॉर मजेदार था. इंदिरा के विपक्षियों ने उनका मजाक उड़ने के लिए एक बड़ा सा पोस्टर लगाया, जिसमें इंदिरा को कोबरा के रूप में दिखाया गया था. उसके नीचे लिखा गया था कि इन चुनावों में एक शक्तिशाली कोबरा पैदा होने वाला था. पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा,दरअसल वे लोग नहीं जानते थे कि कर्नाटक में कोबरा को पवित्र माना जाता था और मान्यता थी कि वह भूमि का रक्षक होता है. एक और पोस्टर में दिखाया गया कि जनता पार्टी इंदिरा नामक सांप को मार रही है जबकि चिकमंगलूर में किसी सांप को मारना अपशकुन माना जाता था. इस तरह से विपक्ष का प्रचार इंदिरा गांधी में समर्थन में चला गया.
बिहार में बहार हो…
जब नीतीश कुमार यह नारा उछालते हैं कि ‘बिहार में बहार हो,नितीशे कुमार हो’ तब भाजपा जवाबी हमला करती हुई कहती है. ‘दवाई के बिना मरते बीमार हैं,हाँ भैया बिहार में बहार है’ नीतीश के शासनकाल में रोजगार को लेकर सवाल उठाकर बिहार में बहार की हवा निकलती नजर आती है. ‘युवा घर छोड़कर ढूढने जाता रोजगार है,हाँ भैया बिहार में बहार है’. नीतीश के काल में शिक्षकों के लाठीचार्ज को लेकर सवाल पूछती है ‘शिक्षकों पर होता लाठी से प्रहार है, हाँ भैया बिहार में बहार है’ किसानों के प्रति अपनी संवेदना दिखाते हुए नीतीश पर प्रहार करते है ‘धन की खरीद का पैसा उधार है,हाँ भैया बिहार में बहार है’
सब एक दूसरे को घेर रहे हैं.
लालू और नीतीश के गठबंधन को लेकर भाजपा नीतीश पर प्रहार करती हुई कहती है ‘कल तक के जानी दुश्मन अब सत्ता के यार हैं,हाँ भैया बिहार में बहार है’ सत्ता के यार का नारा जितना सटीक लालू-नीतीश के लिए है उतना ही सटीक जीतनराम मांझी और रामविलास पासवान के लिए भी हो सकता है. ‘लालू को बताया आतंकराज,अब बनाया फिर से हमराज’ कहकर इस गठबंधन के सत्तालोलुपता की प्रवृति को बताने की कोशिश की है. पर इससे बिहार में कोई भी पार्टी अछूती नहीं रही है, जिस जीतनराम मांझी की सरकार को भाजपा ने भला-बुरा कहा था अब दलित समाज के आहत कोने की चिंता करता दिख रहा है. लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा गठबंधन में शामिल होने वाले ‘मौसम वैज्ञानिक’ रामविलास पासवान पर भी यह सटीक बैठता है.
लालू – जब गरीबों को दी आवाज
भाजपा के जंगलराज का जबाव देते हुए राष्ट्रीय जनता दल कहता है ‘जब गरीबों को दिया आवाज,वो कहतें हैं जंगलराज’ युवायों को अपने साथ जोड़ने के लिए तेजस्वी ‘बोलेगा युवा-बढ़ेगा युवा,बढेगा युवा-बदलेगा बिहार’ कहते नजर आतें हैं तो ‘अपने चिराग को बिहार के हर घर के चिराग’ बनाने का दावा करता हुआ रामविलास पासवान का पोस्टर नजर आता है. बिहारी स्वाभिमान को आहत देखकर कांग्रेस भी पोस्टर वॉर में शामिल होती दिख रही है ‘जग-जाहिर बिहारी स्वाभिमान,नहीं सहेंगें खून का अपमान’
मोदी का वादा…
‘बिहार के विकास में अब नहीं कोई बाधा,मोदी जी ने दिया है वादे से ज्यादा’ के पोस्टर में प्रधानमंत्री पहली बार हाथ जोडे दिखते हैं, पर नीतीश सरकार इस पैकेज की हकीकत बताने के लिए सूचना और जनसंपर्क विभाग की सहायता से भाजपा को बैकफुट पर लाने की कोशिश करते नजर आ रहें हैं. और ‘अपराधमुक्त रहे बिहार,फिर एक बार नीतीश कुमार’ के नारे के साथ नीतीश कुमार एक बार फिर सुशासन बाबू की छवि को चमकाना चाहते हैं. जिसकी हवा भाजपा अपने पोस्टरों में निकालना चाहती है.
अब देखना है कि बिहार में पोस्टर वॉर कितना आगे जाता है. ‘आगे बढ़ता रहे बिहार,फिर एक बार नीतीश कुमार’ के साथ होगी या ‘हाँ भैया यही बिहार है’ कहकर नीतीश की बहार को बेनकाव करेगी ?
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