उत्तर प्रदेश मे खरबों रुये की जायदाद वाले सुन्नी और शिया वक्फ बोर्डों को मुख्य प्रशाशी अधिकारी ढ़ूंढ़े नही मिल रहे, क्या यह आजम खान के खौफ का असर है?
शोभित श्रीवास्तव
दोनों ही बोर्ड में सीईओ के पद पर कोई भी अधिकारी आने को तैयार नहीं है. शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड पर भी विभागीय मंत्री आजम खां के खौफ का असर दिख रहा है.हालत यह है कि यह दोनों ही महत्वपूर्ण पद अरसे से खाली पड़े हैं.
सरकार ने विज्ञापन निकाला. सोचा शायद इसी के जरिए काबिल अफसर मिल जाएं, लेकिन सरकार की यह कोशिश भी नाकाम साबित हुई.
लंबे समय से खाली हैं पद
प्रदेश में दो वक्फ बोर्ड हैं- शिया वक्फ बोर्ड व सुन्नी वक्फ बोर्ड.सूबे में वक्फ की खरबों रुपये की संपत्तियां हैं.दोनों ही वक्फ बोर्ड में अध्यक्ष के बाद सीईओ का पद काफी महत्वपूर्ण होता है. सीईओ ही वक्फ बोर्ड संचालित करते हैं, लेकिन दोनों ही महत्वपूर्ण शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड में काफी लंबे समय से सीईओ के पद खाली चल रहे हैं.
सीईओ का पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (पीसीएस) की नियुक्ति होती है.इसके तहत विभिन्न सरकारी विभागों से अधिकारियों के आवेदन मांगे जाते हैं.
इसके बाद इनमें से ही अल्पसंख्यक विभाग सीईओ नियुक्ति करता हैं.इसके तहत इस बार भी अल्पसंख्यक विभाग ने आवेदन मांगे लेकिन विभाग को कोई कामयाबी नहीं मिली. तब जा कर विभाग ने विज्ञापन जारी किया. इस विज्ञापन में भी मात्र एक अभ्यर्थी ने ही अपना आवेदन किया.
हालांकि, विभाग उन्हें भी इस पद के काबिल नहीं मान रहा है. यह हाल इसलिए क्योंकि विभागीय मंत्री आजम खां के व्यवहार से सभी वाकिफ हैं.
हाल ही में उनके निजी सचिव व अन्य स्टाफ ने भी बगावत के सुर फूंक दिए हैं। इन सब वजहों से ज्यादातर अधिकारी आजम खां के साथ काम करना नहीं चाहते हैं। ऐसे में सरकार के सामने दोनों वक्फ बोर्ड में सीईओ तैनात करना चुनौती बन गया है.
हाईकोर्ट भी नाराज
वक्फ बोर्ड में सीईओ के पद खाली होने पर हाईकोर्ट भी नाराजगी जता चुका है. एक मामले में उसने अल्पसंख्यक विभाग को तय समय में वक्फ बोर्ड में सीईओ की नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं.
अब सरकार के सामने बड़ी मुश्किल यह है कि वक्फ बोर्ड में कोई अधिकारी आना नहीं चाहते हैं. जबकि अधिकारी की तैनाती न होने पर सरकार पर अवमानना का मामला भी चल सकता है.
साभार, अमरउजाला