तेजस्वी को मिल रहे अपार जनसमर्थन को छुपा रहा गोदी मीडिया
शाहबाज़ की विशेष रिपोर्ट
बिहार चुनाव : महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार एवं राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पुरे बिहार में चुनावी सभाएं कर रहे हैं. उन्हें अपार जनसमर्थन मिल रहा है लेकिन मीडिया का एक धड़ा ऐसा है जो इसे अस्वीकार करता हुआ दिख रहा है.
जनसत्ता अखबार के पूर्व संपादक ओम थानवी ने गोदी मीडिया पर बिहार में बदलाव कि लहर को जनता से छुपाने का आरोप लगाते हुए अपने ट्वीट में कहा ” इससे कुछ अंदाज़ा लगा कि भीड़ कितनी थी और किस अन्दाज़ में थी और वक्ता ने क्या कहा। मीडिया बदलाव की किसी लहर को छिपा तो नहीं रहा” ?
ओम थानवी ने तेजस्वी यादव के ट्वीट को retweet किया. तेजस्वी ने कल ही गुरुआ विधान सभा में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था जिसमें खचाखच भरे मैदान में तेजस्वी हज़ारों लोगों के सामने यह कहते हुए सुने जा सकते हैं “जब मुख्यमंत्री बनेंगे एक साथ इकट्ठे दस लाख नोजवानों को सरकारी एवं स्थायी नौकरी देंगे”.
तेजस्वी चुनावी सभा में आये जनसैलाब से पूछते हैं. कितनी नौकरी देंगे ? सभा में आये लोगों कि आवाज़ गूंजती है – दस लाख. वह फिर से वही सवाल दुहराते हैं. कितनी नौकरी देंगे – जनसैलाब हूंकार भरता हुआ दुहराता है – दस लाख. राजद नेता तेजस्वी कि अधिकतर चुनावी सभाओं में यही दृश्य दुहराया और तिहराया जा रहा है.
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तेजस्वी गुरुआ में सभा के बाद अपने ट्वीट में कहते हैं “महागठबंधन की सभाओं में उमड़ रहा जनसैलाब लोगों के लिए भीड़ हो सकती है लेकिन मेरे लिए यह करोड़ों बिहारवासियों की आकांक्षाएँ, सपने और उम्मीदें है जिन्हें पूरा करना है”।
तेजस्वी पालीगंज में चुनावी सभा को संबोधित करते हैं. जनसैलाब बहुत बड़ा है. मैदान में पैर रखने कि जगह नहीं लोग छतों पर और पेड़ों पर चढ़ कर उनका भाषण सुन रहे हैं. यहाँ भी वही दृश्य तेजस्वी पूछते हैं. हमारी सरकार बनते ही कितनी नौकरी देंगे – जनसैलाब कि आवाज़ गूंजती है -दस लाख
तेजस्वी ने पालीगंज की चुनावी सभा के बाद ट्वीट में कहा “युवा अब जोश में ही नहीं होश में भी है। युवाओं का यह उत्साह, जुनून, प्यार और समर्थन बताता है कि उसे विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, नौकरी और सुनहरा भविष्य चाहिए”।
अब सवाल उठ रहे हैं कि देश कि मेनस्ट्रीम मीडिया का एक बड़ा धड़ा इसे सिर्फ अस्वीकार ही नहीं बल्कि जनता से छुपाता दिख रहा है. हजारों कि भीड़ को सैंकड़ों कि भीड़ कहा जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार जैसे ओम थानवी एवं महिला पत्रकों में रोहिणी सिंह इस बात कि तरफ इशारा कर रहे हैं कि बिहार में बदलाव कि लहर को छुपाया जा रहा है.
बिहार चुनाव से ठीक पहले CSDS लोकनीति सर्वे और आजतक न्यूज़ चैनल द्वारा जारी किये गए ओपिनियन पोल में 38 फीसदी लोगों ने एनडीए के पक्ष में राय रखी है जबकि महागठबंधन के पक्ष में 32 फीसदी लोग हैं। इसके अलावा, छह फीसदी लोगों की चाहत है कि राज्य में अगली सरकार एलजेपी की बने।
लेकिन इस सर्वे में बिहार के 243 में से सिर्फ 37 विधानसभा सीटों के 148 बूथों पर लोगों की राय पूछी गई है। यह सर्वे कराने वाले लोग यह कह रहे हैं कि यह ओपिनियन पोल 10 से 17 अक्टूबर के बीच में कराया गया है। इससे पहले भी TimesNow एवं C वोटर सर्वे में बिहार चुनाव में NDA को बढ़त मिलते हुए दिखाया गया था.
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सीएसडीएस-लोकनीति के ओपिनियन पोल यह जानकारी देती है कि विधानसभा चुनाव में एनडीए को 133 से लेकर 143 सीटें मिलने का अनुमान है। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 88-98 सीटें मिल सकती हैं। चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को 2-6 सीटों पर विजयी हो सकती है।
अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पसंद करती है तो तेजस्वी कि सभाओं में लोगों का जनसैलाब क्यों उमड़ रहा है. अगर हाल में आये ओपिनियन पोल एवं गोदी मीडिया द्वारा नीतीश कुमार को ही अगला मुख्यमंत्री बनाने कि जिद को छोड़ दें तो बिहार में इस बार बदलाव कि लहर साफ़-साफ़ दिख रही है.
अंत में जनता कि संयुक्त राय ही मायने रखती है जिसे वह पहले जनसमर्थन दिखा कर और बाद में वोट देकर जताती है. 2014 और 2019 लोक सभा चुनाव में भाजपा ने भी अप्रत्याशित जीत दर्ज किया था जिसका अंदाजा चुनावी सभाओं में भीड़ को देखकर ही लगाया जा सकता था.
अब अगर NDA की चुनावी सभाओं पर नज़र डालते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार चुनावी सभा कर रहे हैं. वह अपने पिछले कार्यों को दुहराते हुए दीखते हैं लेकिन बिहार के भविष्य के बारे में कुछ बोलने से बचते हैं. वहीं उनके चुनावी सभाओं में भीड़ की तरफ कैमरा नहीं घूमता, कैमरा सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर फोकस करता है. कहीं कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विरोध होता हुआ भी दिखता है.
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भाजपा की चुनावी सभाओं में खाली कुर्सियां दिखती हैं. भाजपा स्टार प्रचारकों कि फ़ौज उतारने वाली है. बिहार भाजपा के नेता जहाँ भीड़ कम होने से निराश हैं वहीं कुछ भाजपा नेताओं को भी जनता बेरंग लौटा दे रही है. हाल ही में नित्यानंद राय को भी विरोध का सामना करना पड़ा था.